जिंक की समाधान परियोजना में एफपीओ घाटावाली माता जी के निदेशक मण्डल सदस्यों में शामिल
बिछड़ी गांव की श्यामू बाई के चेहरे पर आत्मविश्वास और उत्साह ग्रामीण महिला सशक्तिकरण और सफलता की मिसाल है। श्यामू बाई अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा के लिये हमेशा प्रोत्साहित करती है जिसके परिणाम स्वरूप बड़ी बेटी आज सिविल सेवा की तैयारी कर रही है और छोटी बेटी उच्च माध्यमिक की छात्रा है। ये सब कुछ वर्षो पहले आसान नही था और आम लोगो की ही तरह श्यामू बाई को भी अपने परिवार के पालन पोषण की चिंता परेशान करती थी। लेकिन ये सब संभव हो पाया हिन्दुस्तान जिं़क की समाधान परियोजना से जुड़ने पर।
वर्तमान में श्यामू बाई घाटावली माताजी एफपीओ के निदेशक मण्डल के सदस्यों में से एक हैं। पहले, वह अक्सर परिवार की आर्थिक स्थिति और पशुधन प्रबंधन को लेकर चिंतित रहती थी। अब वह कृषि और पशुधन पालन के तरीकों पर नियमित बैठकों और जानकारी साझा करने के माध्यम से, वह अब अपने निर्णय लेने में सशक्त और आश्वस्त महसूस करती है। रोजाना दूध के अलावा, श्यामू बाई घरेलू उपभोग के लिए घी, छाछ, पनीर और दही भी बनाती हैं, जिससे उनकी पोषण संबंधी जरूरतें पूरी होती हैं। दूध बेचने से होने वाली आय का उपयोग मुख्य रूप से घरेलू खर्चों, अपने मवेशियों के लिए चारा खरीदने और अपने बच्चों की शिक्षा के लिए ट्यूशन फीस का भुगतान में किया जाता है। श्यामू बाई और उनके पति सक्रिय रूप से अपनी बेटियों की शिक्षा को प्रोत्साहित करते हैं।
श्यामू बाई डांगी और उनके पति संयुक्त रूप से अपने पशुधन का प्रबंधन करते हैं और अपनी आजीविका के लिए कृषि गतिविधियों में संलग्न हैं। इसके अलावा, श्यामू बाई के पास एक सिलाई मशीन है और वह अतिरिक्त आय के लिए कुछ सिलाई का काम करती हैं, हालांकि यह न्यूनतम है। उनके पास 6 बीघे जमीन है. उनकी आय का प्राथमिक स्रोत पशुधन पालन है, जिसमें दो भैंस, पांच गाय और तीन बछड़े हैं। पहले इन्हें दूध का सही दाम नही मिलता था एवं परिवार का खर्चा चलने में दिक्कते होती थी । पिछले दो वर्षों से, श्यामू बाई समाधान परियोजन अंतर्गत संचालित घाटावली माताजी एफपीओ के तहत डेयरी इकाई पर वसा प्रतिशत और एसएनएफ के आधार पर औसतन 38 रुपये प्रति लीटर पर दूध बेच रही हैं एवं इनका लगभग 30 से 35 लीटर प्रति दिन दुध उत्पादन होता हे । सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि उन्हें हर 10 दिन में समय पर भुगतान मिलता है, जिसकी राशि लगभग 12 से 13 हजार रुपये की आमदनी होती है, जो श्यामू बाई के बैंक खाते में जमा की जाती है।
श्यामू बाई कहती है कि वें इनपुट शॉप से गायो के लिए पशु आहार भी खरीदती हैं और अपनी गायों की नस्ल में सुधार करने के लिए समाधान परियोजना अंतर्गत संचालित कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं का उपयोग करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अच्छी नस्ल की बछडियों के होने से नस्ल सुधर हुआ है, साथ ही समाधान परियोजना से संचालित पशु शिविर से भी सहयोग लेते हे जिससे उनके पशुओ का स्वास्थ अच्छा रहता हे एवं इनका पशुओ पर दवाईयो के खर्च में भी बचत होती है। वे स्वच्छ दूध उत्पादन का भी पालन करती हैं जैसे दूध को धूल के कणों और अन्य गंदगी से छानने के लिए छलनी का उपयोग करना, दूध दोहते समय एप्रन और टोपी पहनना, थन को गर्म पानी से साफ करना, दूध के डिब्बे को साफ रखना आदि। श्यामू बाई डांगी हिन्दुस्तान जिं़क को धन्यवाद देना नही भूलती, दूध बेचने से उन्हे समय पर भुगतान तो मिलता ही है साथ साथ उनके घाटावाली माताजी एफ पी ओ संचालन से जो मुनाफा हुआ हे उन्हें उनका डिविडेंट भी मिला है।
श्यामू बाई की तरह ही हिन्दुस्तान जिं़क की समाधान परियोजना से प्रदेश के 5 जिलों में 30, हजार से अधिक किसान परिवार लाभान्वित हो रहे है। इनमें से 3 हजार से अधिक महिला किसान विभिन्न कृषि नवाचारों को अपनाने के लिये प्रशिक्षण प्राप्त कर उन्नत कृषि से जुड़ी हैं, जबकि अन्य 5 हजार से अधिक ने बेहतर कृषि और पशुपालन की नवीन तकनीक पर प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इसके अलावा, 10 हजार से अधिक किसानों को बेहतर कृषि पद्धतियों पर प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण हेतु जोडने के साथ ही सरकारी योजनाओं से भी लाभान्वित किया गया है। 15 हजार से अधिक किसानों को हाई-टेक सब्जी की खेती, लो टनल फार्मिंग, ट्रेलिस फार्मिंग, मशरूम फार्मिंग, बागवानी आदि के लिए सहायता दी गयी है।