उदयपुर। जिस प्रकार पवन चक्की में बैठा तोता अपनी अज्ञानता से अपने आपको चक्की से बंधा हुआ समझता है, ठीक उसी प्रकार मानव भी अपनी अज्ञानता से ही अपने आपको बंधक मानता हुआ जीवन व्यतीत करता है।
सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने गुरूवार को चातुर्मास के तहत आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा के प्रवचन में तत्व व धर्म के मर्म को समझाते हुए उक्त उद्गार व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से बंदर अपनी अज्ञानता से चने की हांडी से अपने हाथ को बंधा हुआ समझता है, उसी प्रकार मनुष्य अपने लोभ-लालच से कर्मों से बंधता चला जाता है और अपनी इसी अज्ञानता के कारण वह दुनिया में दुखी होता चला जाता है। प्रात:कालीन धर्मसभा में दीप प्रभावना समिति अशोक नगर के प्रमोद चौधरी, प्रमोद बाकलीवाल व गंगवाल ने किया। अध्र्य समर्पण आस्था चैनल के निदेशक ने किया।
नाटिका का मंचन: पाश्र्वनाथ युवा मंच व आदिनाथ युवा मंच द्वारा भगवान पाश्र्वनाथ के जीवन पर आधारित भव्य नाटिका का सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में रात्री को मंचन किया गया। इसी तरह शाम को पाढ़ाई जाने वाली अंग्रेजी जैन पाठशानला में प्रथम, द्वितीय व तृतीय आने वालों प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। इन्हीं कक्षा की बालिकाओं ने अष्ट कुमारिका का मनमोहक नृत्य किया।