दूसरा मंचन ओल्ड वर्ल्ड का
udaipur. वृद्धावस्था और एकाकीपन वरिष्ठ नागरिकों के जीवन में निराशा ला देते हैं। ये निराशा उम्र के इस पड़ाव पर चिड़चिड़ा और नैराश्य उत्पन्न करने के साथ—साथ शरीर को व्याधियों में धकेल देती है।
वृद्धजन अपने अनुभवों तथा यादों को आज के परिवेश में बांटना चाहते हैं, वे इस परिवेश को अपनाना चाहते हैं, समाज की वर्तमान धारा में बहना चाहते हैं किन्तु सामजिक बंधनों को याद करके अपने स्वच्छन्द मन को कुछ करने से रोकने का यत्न भी करते हैं। अन्तत: अवसर मिलने पर वृद्ध के मन में बसा व्यक्ति जागता है और खुली हवा में सांस लेता है। बुजुर्ग भी व्यक्ति है, मात्र दादा-नाना नहीं, उसे भी जीने का हक है। नाटक के दौरान वरिष्ठ नागरिक अपने आप को नाटक के पात्रों से जोड़ते दिखाई दिये। ये नाटक की सफलता है। मूल रूप से रशियन नाट्यकार अलेक्सी अर्हूजोव द्वारा लिखित तथा भूपेश पण्डया द्वारा निर्देशित नाटक ‘ओल्ड वर्ल्डक’ का दूसरा मंचन डा. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट, नाद्ब्रह्म तथा वरिष्ठ नागरिक मंच के साझे में विद्याभवन ऑडिटोरियम में हुआ।
बेहतरीन साऊण्ड, लाइटिंग तथा वेशभूषा के मध्य एक खुले विचारों की महिला मिस लिडिया की भूमिका में रेखा सिसोदिया तथा दुनियादारी को समेटे डाक्टर की भूमिका में अनिल दाधीच के अभिनय ने शहर के वृद्धजनों का मन मोह लिया। प्रस्तुति पार्श्व में संगीत का प्रयोग उत्तम बन सका। दीक्षान्त राज सोनवाल ने रशियन धुनों का इस्तेमाल प्रभावी ढंग से किया। प्रकाश परिकल्पना हेमन्त मेनारिया व महेश आमेटा की थी। मंच व्यवस्था विजय लाल गुर्जर की थी एवं मंच परिकल्पना संदीप सेन और अमित श्रीमाली ने की। वेशभूषा कविता खत्री और खुशबू खत्री की थी। रूपसज्जा रेखा शर्मा और नृत्य निर्देशन मोना शर्मा ने किया। हेमन्त, अनिल, निलाब और प्रशान्त ने मंच पाश्र्व और प्रोपर्टी में सहयोग दिया। नाटक का हिन्दी अनुवाद डॉ. बी. सफाडिय़ा और भूपेश पण्ड्या ने किया। प्रारंभ में ट्रस्ट सचिव नंदकिशोर शर्मा ने कहा कि इलेक्ट्रोनिक मनोरंजन की तरफ बढ़ते हुए दौर में नाटकों का होना समाज में एक जीवन्त संवाद स्थापित करता है।
धन्यवाद नाटक के सह-निदेशक और वरिष्ठं नाट्यकर्मी शिवराज सोनवाल ने दिया। मुख्य अतिथि विद्याभवन के सचिव एस.पी.गौड, विशिष्ट् अतिथि शिक्षाविद् भंवर सेठ तथा दीपक दीक्षित थे। अध्यक्षता विजय मेहता ने की।