लोक कला की दर्शन दीर्घा: भारतीय लोक कला मण्डल
udaipur. प्राचीन काल से ही भारतीय जन-जीवन में रची-बसी लोक कला को देश-विदेश तक पहुंचाने वाले उदयपुर के भारतीय लोक कला मण्डल को लम्बेम समय बाद पहली बार इस वर्ष लोक कला के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए भाषा एवं सांस्कृतिक विभाग द्वारा 15 लाख रुपये आवंटन किए गए हैं।
लोक कला मण्डल के संगठन सचिव गोवर्धन सामर ने बताया कि इस राशि से भवन एवं प्रदर्शन कक्षों का रख-रखाव तथा जीर्णोद्वार कार्य कराये जाएंगे। विख्यात लोक कला विद पद्मश्री स्व.देवीलाल सामर द्वारा वर्ष 1952 में स्थापित इस संस्था का लोककलाओं के संरक्षण एवं संवर्धन में आज अन्तर्राष्ट्रीय पहचान बन गई है। लोक कला को जहां संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है वहीं संस्था के वर्तमान में 18 लोक कलाकार देश विदेश घूम कर लोक संस्कृति का प्रचार करते हैं। भारत सरकार की और से संस्था के कलाकार इंग्लैण्ड, रूस, लीबीया, भूटान, इण्डोनेशिया, ग्लास्गावे, बुखारेस्ट, स्वीडन, डेनमार्क, जर्मनी, नार्वे, कुवैत, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, स्विट्जरलैण्ड, सिंगापुर, इटली, शिकागो, न्यूयार्क, चेकोस्लोवाकिया, पौलेण्ड, आदि कई देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं।
समूहों में विद्यालयों के विद्यार्थी भी यहां आकर लोक संस्कृति से जुड़ते हैं। निसंदेह लोक संस्कृति के क्षेत्र में भारतीय लोक कला मण्डल आज विश्व में अपनी विशेष पहचान रखता है।