29 तपस्वियों का पारणा आज
udaipur. इस जगत में यूं तो कई शक्तियां प्रभावशाली मानी जाती है। जैसे परमाणु शक्ति, अणु शक्ति, जन शक्ति, जल शक्ति, विद्युत शक्ति आदि। लेकिन इन सब शक्तियों से प्रभावशाली शक्ति होती है आत्मशक्ति। विश्व की सर्वश्रेष्ठ शक्ति अगर कोई है तो वह है आत्म शक्ति।
उक्त उद़्गार आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में सोलहकरण विधान के समापन अवसर पर व्यक्त किये। आचार्यश्री ने कहा कि जहां आज का युवा दिनभर खाता-पीता रहता है, वहीं सेक्टर 11 के युवा वर्ग द्वारा 32 दिन व 16 दिन के उपवास करना एक बहुत बड़े चमत्कार के जैसा है। ऐसा चमत्कार बिना आत्मशक्ति के सम्भव नहीं हो सकता है। जो कार्य किसी भी माध्यम से सम्भव नहीं हो पाता हो उसे आत्म शक्ति यश आत्म बल से सम्भव बनाता जा सकता है।
आचार्यश्री ने कहा कि मन पर नियंत्रण करने वाले वीर पुरूष हैं। जिसने यौद्धाओं को जीता लोक में उसे बहादुर माना जाता है, लेकिन अपने मन को जीतने वाला ही वास्तव में सबसे बहादुर पुरूष होता है।
मन के जीते जीत है, मन के हारे हार। जिसने मन को जीता, उसकी जय-जयकार। संत भी अपनी कठिन साधना, आत्मबल से ही करता है। आज के भौतिक युग में साधु बनना कोई सरल काम नहीं है। साधु बनना तलवार की धार पर चलने के समान हैं। संयम और तपस्या धारण करना सुमेरू पर्वत के चढऩे के बराबर है। आत्मबल से ही ऐसे असम्भव कार्य सम्पन्न होते हैं। इससे पूर्व सभी 16 व 32 उपवास करने वाले अपने- अपने घर से बैंड-बाजे पूर्वक पूजन सामग्री व उपकरण मन्दिरजी में लेकर आये। आचार्यश्री के सानिध्य में सभी मपस्वियों ने पौछारा व थाली भेंट की। जिनवाणी अर्पण किया। उपवास वालों से मिलने के लिए बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं का रैला उमड़ पड़ा। रात्री में भक्ति संध्या का आयोजन हुआ, जिसमें प्रभावना वितरित की गई।
चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रमोद चौधरी व अध्यक्ष बसन्त थाया ने बताया कि मंगलवार को 29 तपस्वियों की सुबह 7.30 बजे शोभा यात्रा निकलेगी। सभी मपस्वियों के लिए विशेष प्रकार की बग्घियां तैयार करवाई गई है। इसके बाद शाही कॉम्पलेक्स में सामूहिक पारणा व सम्पूर्ण समाज का वात्सल्य भोजन होगा।