मकान का पट्टा देने की मांग
udaipur. कच्ची बस्तीतवासियों ने अब एक नवम्बर से कलक्ट्रेपट पर महापड़ाव करना तय किया है। यह महापड़ाव अनिश्चितकालीन का होगा। कच्ची बस्ती फैडरेशन के बैनर तले यह महापड़ाव मकानों का पट्टा देने व अन्यत्र बसाने की योजना निरस्त् करने की मांग को लेकर किया जाएगा।
कच्ची बस्ती फैडरेशन के जिलाध्यक्ष भंवरलाल बारबर ने बताया कि उदयपुर में करीब 35 वर्षों से हजारों लोग कच्ची बस्तियों में रह रहे हैं। इन बस्तियों का पहला सर्वे 1981 में हुआ, जिसका नाप कर नगर विकास प्रन्यास ने 50 पैसा वर्गफीट के हिसाब से जमा कर पट्टे की कार्यवाही प्रारम्भ की थी। इसके बाद राष्ट्रीय कच्ची बस्ती विकास योजना के तहत तथा नगर विकास प्रन्यास द्वारा कच्ची बस्तियों में नाली, सडक़, बिजली, पानी आदि की सुविधाएं दी गई। प्रन्यास द्वारा पट्टे की कार्यवाही करने व विकास के काम कराने पर इन बस्तियों में रह रहे लोगों ने अपना अपना परिवार बढऩे पर अपने कच्चे झोंपड़ों की जगह धीरे धीरे रहने काबिल मकान बनाना प्रारम्भ किया जो 35 वर्ष की कड़ी मेहनत के बाद कई लोगों ने रहने जैसे पक्के मकान बनाये। राज्य सरकार के 1998 में कच्ची बस्तियों के नियमन के फैसले पर इन सभी बस्तियों का व्यापक सर्वे, विडियोग्राफी, अति. कलक्टर द्वारा शिकायतों का निपटारा कर सबको पट्टे के फार्म भरने का आदेश दिया। इस पर सभी कच्ची बस्ती वासियों ने फार्म भर कर सभी खानापूर्ति कर नगर परिषद में फार्म जमा कराये और कई परिवारों ने पैसे भी जमा करा दिये। लेकिन ऐसी बस्तियां जिन्हें 1981 में सर्वे के बाद झौंपड़े के पैसे जमा करके नगर विकास प्रन्यास ने आवंटन पत्र जारी किये, उन बस्तियों को 1998 के बाद जंगलात जमीन, निर्माण निषेध क्षेत्र, निजी अथवा अन्य बहाने बताकर पट्टे नहीं दिये गये। जिस जमीन को जंगलात जमीन या निर्माण निषेध क्षेत्र माना है, वहां स्वयं नगर विकास प्रन्यास ने अनेक प्लॉट एलोट किये, निर्माण स्वीकृति दी, जिस पर जीपीएफ ऑफिस, जीवन बीमा निगम कार्यालय, पीएचईडी ऑफिस, कांग्रेस पार्टी कार्यालय की भूमि, माकपा कार्यालय बने हुए है और मीरा कला मंदिर व अनेक परिवारों ने बंगले बना रखे हैं। नगर विकास प्रन्यास द्वारा स्वयं अपनी कॉलोनी भी बनाई गई व प्रेस कॉलोनी भी यहीं है।
फैडरेशन के महासचिव बी. एल. सिंघवी ने बताया कि उदयपुर में किये गये सरकारी सर्वे अनुसार कच्ची बस्तियों में 9845 परिवार रहते हैं। राज्य सरकार द्वारा कई बार पट्टे देने की घोषणा करने के बावजूद आज तक मात्र 2114 परिवारों को ही उनके मकानों के पट्टे दिये गये, उनमें भी कईयों को तो जितनी भूमि पर कब्जा है, उतनी भूमि का पट्टा नहीं दिया गया।
सिंघवी ने बताया कि राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन द्वारा सैकड़ों बार आश्वासन दिये जाने के बावजूद आज तक कच्ची बस्ती वासियों को उनके मकानों का पट्टा नहीं देने के कारण यहां के निवासियों में भारी आक्रोश है, इसलिए कच्ची बस्ती फैडरेशन, उदयपुर के आव्हान् पर सभी कच्ची बस्ती वासियों को उनके मकानों का पट्टा देने एवं अन्यत्र बसाने की योजना को निरस्त करने की मांग को लेकर 1 नवम्बर 2012 से जिला कलक्टर कार्यालय उदयपुर के सामने महापड़ाव करना तय किया है, जो अनिश्चितकालीन होगा। ज्ञापन देने गए प्रतिनिधिमण्डल में माकपा पार्षद राजेश सिंघवी, प्रतापसिंह देवड़ा, हमेरसिंह, दामोदर कुमावत, छोगालाल, हीरालाल सालवी, निरंजन सालवी, मोहनलाल खोखावत, रंजीतसिंह, शमशेर खान, मुनव्वर खां आदि शामिल थे।