सिलेंडर की महंगाई ने मारा
udaipur. एक ओर गैस सिलेंडर की नीतियां आम उपभोक्ताओं के समझ में नहीं आ रही है और उधर दूसरी ओर शादी-ब्याह के सीजन ने दोहरी मार कर दी है। सिलेंडर के इस आधुनिक जमाने में किल्लत के चलते कई स्थानों पर लकड़ी के चूल्हों ने वापस अपनी जगह बनानी शुरू कर दी है।
पहले थोड़ा बहुत अतिरिक्त राशि देकर सिलेंडर का इंतजाम हो जाता था लेकिन जब से सब्सिडी हटाने की बात चली है, आम तौर पर 500-600 रुपए में मिल जाने वाला सिलेंडर अब 1100-1200 में भी मिल जाए तो उपभोक्ता शुक्र मनाता है। इस बार शादी ब्याह के सीजन में ऐसे कई स्थान मिले जहां सिलेंडर के अभाव में लकड़ी जलाकर खाना पकाने को हलवाई मजबूर थे।
हाल ही में बेटी की शादी कर निपटे व्यवसायी ने बताया कि 1200 रुपए में सिलेंडर खरीदने पडे़। फिर भी जितने चाहिए थे, उतने नहीं मिले इसलिए लकड़ी मंगवाकर चूल्हे जलाने पडे़ और खाने का काम निबटाया। इनका मानना है कि वापस पुराना ही जमाना आ रहा है जब लकड़ी जलाकर ही खाना पकाना पडे़गा।