कृषि विश्वविद्यालय के सप्तम् दीक्षान्त समारोह में राज्यपाल ने वितरित की उपाधियां
Udaipur. राज्य पाल मार्ग्रेट आल्वा् ने कहा कि विद्यार्थियों को स्वयं पर विश्वास रखकर अपनी प्रतिभा को विकसित करने और स्वप्नदृष्टा की तरह विश्व के विकास में भागीदार बनना होगा। वे गुरुवार को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सुविवि ऑडिटोरियम में आयोजित सातवें दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को उपाधियां व पदक वितरित करने के बाद संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने स्वतंत्रता के पश्चात देश में कृषि के विकास में तकनीकी योगदान, सिंचाई सुविधाओं एवं समर्पित नीतियों की भूमिका की सराहना की। उन्होंशने कहा कि देश मे हरित क्रांति के फलस्वरुप ही आज हम खाद्यान्न उत्पादन मे आत्मनिर्भर बन पाए हैं। राज्यपाल ने बताया कि सकल घरेलू उत्पाद में घटते कृषि के योगदान, कृषि मे श्रम की कमी, सिमटते प्राकृतिक संसाधन एवं पर्यावरण असंतुलन कृषि की मुख्य समस्याएं हैं।
दीक्षान्त समारोह में कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ. पी. गिल ने बताया कि विश्वविद्यालय जनजाति बहुल किसानों के आर्थिक व शैक्षणिक उन्नयन हेतु निरन्तर प्रयत्नशील है। उन्होंजने बताया कि विश्वविद्यालय में वर्ष 2011-12 में तीन स्नातकोत्तर एवं दो पीएचडी पाठ्यक्रम प्रारम्भ किये गये हैं। विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को राष्ट्रीय स्तर की छात्रवृति प्राप्त हुई है जो कि विद्यार्थियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन का परिणाम है। विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षकों ने भी राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त कर विश्वविद्यालय का नाम ऊंचा किया है। डेयरी विज्ञान, गृहविज्ञान, अभियंत्रिकी महाविद्यालय के अनेक विद्यार्थियों का चयन कैम्पस इंटव्र्यू के माघ्यम से विभिन्न बहुराष्ट्रीय कम्पनियों एवं संगठित क्षेत्रों में हुआ है।
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय ने कृषि अनुसंधान का श्रेष्ठतम कार्य किया है, इस वर्ष विश्वविद्यालय में आरकेवीवाई की रू 667 लाख, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की रू 42.43 लाख एवं अन्य संस्थाओं द्वारा प्रायोजित रु. 174 लाख की नवीन अनुसंधान परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं । विश्वविद्यालय द्वारा नवीन फसलीय एवं पशु प्रजातियां, उन्नत कृषि यंत्र एवं तकनीकें विकसित की गई हैं। विश्वविद्यालय में गत वर्ष 4.55 करोड़ मत्स्य बीज एवं 1575 टन उन्नत फसल बीज उत्पादित किया है जो हर्ष का विषय है।
कुलसचिव डॉ पी. के. गुप्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के कृषि, इंजीनियरिंग, डेयरी, गृहविज्ञान, मात्स्यकी एवं उद्यनिकी व वानिकी संकायों के बीएससी/बीई/बीटेक के सत्र 2011-12 में उत्तीर्ण 594 विद्यार्थियों को स्नातक उपाधि और डेयरी के अतिरिक्त अन्य संकायों के एमएससी/एमई के 105 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर (निष्णात) एवं 30 विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों में विद्यावाचस्पति (पी. एच. डी.) की उपाधि भी प्रदान की गई।
विभिन्न संकायों मे सर्वश्रेष्ठ अकादमिक प्रदर्शन हेतु स्नातक स्तर पर 11 विद्यार्थियों को स्वर्णपदक प्रदान किये गये। स्नातकोत्तर स्तर पर सर्वश्रेष्ठ अकादमिक व अनुसंधान के प्रदर्शन हेतु 10 विद्यार्थियों को स्वर्णपदक प्रदान किये गऐ। इसके अतिरिक्त इंजीनियरिंग संकाय के मृदा एवं जल संरक्षण विभाग के एक श्रेष्ठ स्नातकोत्तर विद्यार्थी को जैन इरीगेशन स्वर्णपदक भी प्रदान किया गया। सुविवि कुलपति प्रो. आई. वी. त्रिवेदी, राज. कृषि विश्व विद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. के. एन. नाग, जिला कलक्टर विकास एस. भाले, निदेशक खान एवं भूविज्ञान बी. एस. देथा, पुलिस अधीक्षक, अति. जिला कलक्टर सहित अनेक गणमान्य नागरिक आदि उपलस्थित थे।