डिविडिंग मशीन खरीद में धांधली की आशंका
Udaipur. नगर के झील प्रेमियों और झील संरक्षण से जुड़े नागरिकों ने डिविडिंग मशीन खरीद को निहायत फिजूल बताते हुए इसकी न सिर्फ इसकी खरीद पर प्रश्न उठाए हैं बल्कि इसमें धांधली की भी आशंका जताई है।
झील संरक्षण समिति के डॉ. तेज राजदान, अनिल मेहता, चांदपोल नागरिक समिति के तेजशंकर पालीवाल ने आश्चर्य व्यक्त किया कि आरयूआईडीपी ने गत 7 जनवरी को जारी टेण्डर में सवा तीन करोड़ की डिविडिंग मशीन खरीद के लिए निविदा मांगी है जबकि संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता वाली सिटी लेवल मॉनिटरिंग कमेटी में ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई। सीएलएमसी में पचास से साठ लाख वाली दो-तीन मशीनों पर लम्बा विचार विमर्श हुआ था। टेण्डर नोटिस में बड़ी व बहुत ही महंगी मशीन खरीदने का उल्लेख है।
पूर्व अधीक्षण अभियंता जी. पी. सोनी ने कहा कि सवा तीन करोड़ के ब्याज मात्र में ही झीलों को जलकुम्भी व खरपतवार से मुक्त रखा जा सकता है। डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के सचिव नन्दकिशोर शर्मा ने कहा कि स्थानीय तौर पर बहुत ही कम लागत में कनवेयर बेल्ट, फ्लोट इत्यादि की व्यवस्था से जलकुम्भी व खरपतवार हटाई जा सकती है। एक बड़ी मशीन के बजाय यांत्रिक व जैविक विधि का उपयोग सम्मिलित तरीका काम में लेना ज्यादा प्रभावी व फायदेमंद होगा। झील हितैषी मंच के हाजी सरदार मोहम्मद, शिक्षाविद् सुशील दशोरा तथा ज्वाला संस्थान के भंवरसिंह राजावत ने कहा कि सवा तीन करोड़ की मशीन सफेद हाथी साबित होगी।
The machine is too big to purchase for a small lake like Fateh Sagar, even not recommandable for Jaisamand… It s clear indication of corruption