क्या होगा इन नियुक्तियों के मायने?
Udaipur. लो साहब, हो गया चुनाव 2013 की तैयारियों का आगाज। भाजपा में प्रदेशाध्य्क्ष मैडम को बना दिया गया और मेवाड़ के शेर को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद देकर ठण्डा किया गया। क्या मायने हैं इन नियुक्तियों के..। क्या रंग दिखाएंगी ये नियुक्तियां.. ये तो भविष्य ही बताएगा लेकिन राजनीतिक पंडित इसे कहीं मेवाड़ के शेर को मेवाड़ में कमजोर करने का कदम बताते हैं तो मैडम समर्थकों को मेवाड़ में मजबूत करने की पहल भी।
हालांकि अवसरवादिता के आरोप से भाजपा को भी नकारा नहीं जा सकता। गत चुनाव के बाद मैडम कहां रही, मेवाड़ के शेर अपने क्षेत्र में खुद को मजबूत करने में लगे रहे, पार्टी के बैनर तले यात्रा निकालने को लेकर मैडम का विरोध भी जगजाहिर है। यहां तक कि मैडम ने एकबारगी पार्टी छोड़ने तक की धमकी दे डाली जिससे आलाकमान तक हिल गया। शेर को दहाड़ छोड़कर मिमियाने के लिए मामले को संभालने दिल्ली जाना पड़ गया और यात्रा निरस्त करनी पड़ गई। और अब चुनाव आते ही आलाकमान ने सबको एक ही कटोरे में दूध पीने को विवश कर दिया।
मेवाड़ के शेर का कद अब नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद मेवाड़ में बढ़ेगा या घटेगा, मैडम समर्थकों के चेहरों पर छाई खुशी की लहर तो कुछ और ही बयां करती हैं। हालांकि मैडम कटारिया को विधानसभा में व्यस्त करवाने में तो सफल हो गईं लेकिन मेवाड़ में जीत को लेकर वे कटारिया के भरोसे भी नहीं रहेंगी। ऐसे में मेवाड़ में उनका दायित्व कौन संभालेगा… इस पर जरूर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कटारिया विरोधी सभी नेता वसुंधरा के विश्वसनीय माने जाते हैं जिनमें किरण माहेश्वरी, रणधीरसिंह भीण्डर, धर्मनारायण जोशी, ताराचंद जैन, आदिवासी नेता नंदलाल मीणा आदि शामिल हैं। इन सभी के भरोसे फिर भी वसुंधरा एक बार फिर मेवाड़ में काबिज हो सकती हैं बशर्ते ये सभी कटारिया के विरोध में एकजुट हो जाएं। मौकापरस्ती और अवसरवादिता के आरोप से कोई छूट नहीं सकता। पहले यही जोशी, जैन आदि कटारिया के विश्वस्तों में माने जाते थे। भैरोंसिंह शेखावत के मुख्य मंत्रित्वा और कटारिया के शिक्षामंत्रित्वक काल में यही जोशी शिक्षा विभाग के काम कराने में माहिर माने जाते थे वहीं जैन को कटारिया का फाइनेंसर, दायां हाथ तक कहा जाता था और अब यही नेता इनके विरोध में हैं। रही किरण माहेश्वेरी की बात तो उन्हें कटारिया ही राजनीति में लाए और माहेश्वरी कटारिया के सामने ही जा खड़ी हुईं। इसका हश्र यह हुआ कि आज उदयपुर की राजनीति माहेश्वरी और कटारिया गुटों में बंटकर रह गई है। ऐसा ही कुछ दिखा नेता प्रतिपक्ष बनकर पहली बार उदयपुर पहुंचे कटारिया के स्वागत समारोह में। यूं कहने को गुटबाजी खत्म हो गई लेकिन कार्यक्रम में विरोधी गुट के किसी कार्यकर्ता के नहीं पहुंचने से महसूस भी हुआ कि गुटबाजी अब भी वहीं की वहीं है सिर्फ चुनावी मौका देखकर नाममात्र कहने को गुटबाजी खत्म हो गई है।
देहात महामंत्री डॉ. गीता पटेल को रिश्वत के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार किया। कटारिया कभी भ्रष्टाचार मिटाने की बात करते हैं तो वहीं भ्रष्टाचार की आरोपी डॉ. पटेल के समर्थन में भाजपा के धरने को जाकर संबोधित करते हुए पटेल को निर्दोष होने की बात कहते हैं।