पारस्परिक सदभाव एवं भाईचारे का विकास हो : आचार्य नित्यानंद
Udaipur. तपागच्छ उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर भगवान महावीर स्वामी जिनालय एवं जिनबिम्बों, गुरु बिम्बों, शासन रक्षक देव-देवियों की बुधवार को धूमधाम से प्रतिष्ठा की गई। जैसे ही प्रतिष्ठा हुई तो थाली-मांदल से वातावरण को गूंजायमान कर दिया और कुमकुम के मंदिर व एक-दूसरे के थापे लगाकर बधाई दी।
शांतिदूत आचार्य नित्यानंद सूरिश्वर ने कहा कि मंदिर तो एकमात्र प्रतीक है, मंदिर में ही नहीं अपितु अपने मन मंदिर में परमात्मा की प्रतिष्ठा ही सच्ची प्रतिष्ठा है। परमात्मा की प्रतिष्ठा जीव मात्र के कल्याण का कारण बने इस समर्पण क्षेत्र का बहुमुखी विकास हो। पारस्परिक सद्भावना, भाईचारा व मैत्री भावना का विकास हो। महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि बुधवार को विधिकारक कल्पेश भाई ने हेमलता बेन, पुत्र श्रेणिक मनावत परिवार द्वारा नवनिर्मित मंदिर में मूलनायक भगवान महावीर स्वामी एवं अन्य जिनबिम्बों की विधि अनुसार प्रतिष्ठा की गई। मंदिर में प्रतिष्ठा के साथ ही चारों तरफ दिवारों पर प्रतिष्ठा करने परिवार ने कुमकुम के थापे लगाए। बाद में एक-दूसरे के थापे लगाकर भगवान की जयकारों से वातावरण को गुंजायमान कर दिया। इस खुशी व हर्ष के मौके पर सभी श्रावक-श्राविकाएं झूम उठे। इसके साथ ही घंटाकर्ण महावीर एवं लक्ष्मी देवी की मंगल प्रतिष्ठा, गुरु बिम्ब एवं यक्षेन्द्र मणीभद्र दादा, नाकोड़ा भैरव, अम्बिका देवी एवं पदमावती देवी की मंगल प्रतिष्ठा की गई। साथ ही विधिकारक द्वारा स्नात्रपूजा कराई गई। साथ ही नवनिर्मित मंदिर पर ध्वजा एवं दिवान सिंह बापना परिवार की ओर से कलश स्थापना की गई। आचार्य नित्यानंद सूरिश्वर की निश्रा में सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने प्रतिष्ठा के दौरान कोई भूल-चूक या गलती हुई हो तो उसके लिए क्षमायाचना की। साथ ही देश-प्रदेश एवं शहर का कल्याण हो, सभी लोग खुशहाल रहें एवं सभी की सुख-समृद्धि हो ऐसी प्रभु से प्रार्थना की गई। इस अवसर पर आचार्यश्री ने कहा कि भक्ति भव सिंधु तिराती है। भक्ति भव पार लगाती है, भक्त में भेद नहीं भक्ति भगवान बनाती है। आत्मा को परमात्मा से जोडऩे का एकमात्र माध्यम भक्ति है। भगवान को मंदिर के साथ-साथ मन मंदिर में भी विराजमान करें।
द्वार उद्घाटन : मंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि अष्टाह्निका महोत्सव का समापन भगवान महावीर स्वामी के मंदिर के द्वार उद्घाटन से होगा। गुरुवार प्रात: 6 बजे हेमलता बेन श्रेणिक कुमार-निशा, प्रवेश, तनय मनावत परिवार हाथी पर सवार होकर मंदिर जी पहुंचेंगे जहां पर चांदी की चाबी से द्वार खोलकर उद्घाटन करेंगे। इसके पश्चात नवकारसी आयोजन होगा।