जैसलमेर/उदयपुर। जानी-मानी साहित्य चिंतक एवं उदयपुर जिला परिषद सदस्य डॉ. विमला भण्डारी ने जैसलमेर की लोक संस्कृति, इतिहास, कला, साहित्य और परंपराओं को दुनिया भर में अनूठा बताया है और कहा है कि यहाँ की थातियों में जबर्दस्त आकर्षण है जिसकी वजह से पूरी दुनिया इस सरहदी अंचल में आकर सुकून पाती है।
डॉ. भण्डारी ने सोमवार को यहाँ गड़ीसर स्थित मरु साँस्कृतिक केन्द्र एवं संग्रहालय का अवलोकन करते हुए यह उद्गार व्यक्त किए। डॉ. विमला भण्डारी के नेतृत्व में साहित्य चिंतकों का एक दल जैसलमेर की पहुंचा जहां केन्द्र संस्थापक, जाने-माने साहित्यकार एवं इतिहासविद् नन्दकिशोर शर्मा ने डॉ. विमला भण्डारी का स्वागत किया और केन्द्र के उद्देश्यों एवं गतिविधियों पर जानकारी दी।
समर्पित प्रयास : डॉ. विमला भण्डारी ने संग्रहालय एवं सांस्कृतिक केन्द्र का अवलोकन करते हुए इस अपूर्व ऎतिहासिक प्रयास के लिए संस्थापक नंदकिशोर शर्मा को बधाई दी और कहा कि उनका यह प्रयास सदियों तक मरु संस्कृति और परंपराओं का कीर्तिगान करता रहेगा। इससे अध्येताओं, शोधार्थियों और मरु अंचल के बारे में जिज्ञासा रखने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों और विद्वजनों को लाभ मिलेगा और जैसलमेर का गौरव बढ़ेगा।
ऎतिहासिक लम्हे : डॉ. विमला भण्डारी ने केन्द्र अवलोकन को अपनी जिन्दगी का यादगार ऎतिहासिक पल बताया और कहा कि नंदकिशोर शर्मा जैसा विराट व्यक्तित्व अपने आपमें बहुआयामी लोक साँस्कृतिक कोष और बहुआयामी संस्था है जिनका कार्य देख कर हर कोई अभिभूत हुए बिना नहीं रह सकता।
डॉ. भण्डारी ने कहा कि राजस्थान के संस्कृति साहित्य व इतिहास के पुरोधा होने के साथ-साथ उन्होंने नये जमाने की तकनीक को अपनाते हुए लोक सांस्कृतिक वैभव को डिजिटल बनाकर युगों-युगों तक सुरक्षित एवं संग्रहित कर लिया है, इसके लिए सदियां उनके प्रति कृतज्ञता का गान करेंगी।
जिन्दगी भर के लिए यादगार : उन्होंने यह भी कहा कि शर्मा यह अनुकरणीय कार्य बिना सरकारी अनुदान लिए पूरी आत्मनिर्भरता के साथ संचालित कर रहे हैं जो अपने आप में एक अनुपम उदाहरण है एवं प्रदेशवासियों के लिए गौरव एवं खुशी की बात है। जैसलमेर का यह सांस्कृतिक वैभव कोई भी पूरी जिन्दगी भुला नहीं सकता।
दुनिया में मशहूर हैं डॉ. भण्डारी : वर्तमान में उदयपुर जिला परिषद् सदस्य, मूलतः बाल साहित्यकार डॉ. विमला भण्डारी साहित्य जगत की वह हस्ती हैं जो विश्व की 111 हिन्दी लेखिकाओं में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं। डॉ. भण्डारी की अब तक 10 बाल साहित्य की पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उल्लेखनीय है कि राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा भी उनके द्वारा लिखित प्रेरणादायक बाल कहानियों को बाल साहित्यकार से पुरस्कृत किया गया था। इसी प्रकार इनके द्वारा लिखित ‘‘अणमोल भेंट‘‘ कृति पर राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर ने रविवार को ही अपने सालीना जलसे नेहरू बाल साहित्यकार सम्मान से इन्हें नवाजा जा चुका है। डॉ. भण्डारी के लिखे तीन कहानी संग्रह, 2 नाटक, उपन्यास आदि 18 पुस्तकों में ‘सलुम्बर का इतिहास’ सर्वाधिक चर्चित एवं लोकप्रिय रही। वे अब तक 25 शोध पत्र पढ़ चुकी हैं। जो विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में छप चुके हैं। इसके साथ ही देश की कई संस्थाओं द्वारा उत्कृष्ट लेखन के लिए डॉ. भण्डारी को सम्मानित किया जा चुका है।