गीतांजली नर्सिंग में हुई कार्यशाला में मंथन
Udaipur. चिकित्सा क्षेत्र में आ रहे लगातार नए बदलाव व नई तकनीक का उपयोग कर आपात स्थिति में लाए गए मरीज को जीवनदान दिया जा सकता है। सीपीआर (कार्डिक प्लमोनरी रिससीटेशन) की इजाद हुई नई विधियों से व्यक्ति को श्व्सन देकर बचाया जा सकता है।
यह मंथन शनिवार को गीतांजली इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग साइंसेज एंड रिसर्च सेन्टर के तत्वावधान में गीतांजली हॉस्पिटल परिसर में एसीएलएस एंड बीएलएस (एडवांस कार्डिक लाइफ सपोर्ट एंड बेसिक लाइफ सपोर्ट) विषय पर आयोजित कार्यशाला में सामने निकल कर आए।
उद्घाटन गीतांजली इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग साइंसेज एंड रिसर्च सेन्टर की डीन डॉ. जयालक्ष्मी एल.एस. ने किया। कार्यशाला का आयोजन इंस्टीट्यूट के पीजी स्टूडेन्ट्स (मेडिकल सर्जीकल नर्सिंग), द्वितीय व तृतीय वर्ष (अंडर ग्रेजुएट) व द्वितीय वर्श नर्सिंग डिप्लोमा के विद्यार्थियों ने किया।
सीपीआर की नई विधियां : कार्यशाला के प्रथम सत्र में गीतांजली के मेडिकल सर्जीकल नर्सिंग विभाग के प्रभारी मनीष शर्मा ने अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा जारी की गई सीपीआर की नई विधियों कम्प्रेशन, एयर वे, ब्रिथिंग आदि के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि इन विधियों को प्रयोग में लाने से आपात स्थिति में लाए मरीज की स्थिति में तुरंत व लगातार सुधार आता है।
कैंसे करें ईसीजी का अध्ययन : कार्यशाला के द्वितीय सत्र में गीतांजली हॉस्पिटल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सी. पी. पुरोहित ने सीपीआर के दौरान ईसीजी का अध्ययन कर, उपचार करने के तरीके की जानकारी दी। तीसरे सत्र में हॉस्पिटल के निश्चे तना विशेषज्ञ डॉ. एस. एस. जैतावत ने मरीज को निश्चे तना करने के तरीके, सीपीआर के समय निष्चेतना के लिए दी जाने वाली दवाओं से अवगत कराया। चतुर्थ सत्र में नर्सिंग के लेक्चरर आकाश चावड़ा ने एडवांस कार्डिक लाइफ सपोर्ट के माध्यम से जीवन बचाने की तरीके बताए। अंतिम सत्र में लेक्चरर संदीप ने डमी पर सीपीआर की विधियां अपना कर डेमोस्ट्रेषन दिया। कार्यशाला में गीतांजली सहित ग्लोबल, वागड़, अरिहंत कॉलेज ऑफ नर्सिंग, कल्पतरू, उदयपुर कॉलेज ऑफ नर्सिंग, सिनर्जी, मातेश्वहरी, आरएनटी, मेवाड़ नर्सिंग कॉलेज आदि के विद्यार्थी, होम्योपैथिक चिकित्सक, जीएमसीएच आरएमओ सहित नर्सिंगकर्मी उपस्थित थे।