udaipur. प्रख्यात गज़ल गायक राजकुमार रिज़वी ने कहा कि किसी की गायक की गायकी में निखार तभी आ सकता है जब उसने उसकी तालीम गुरू से ली हो। किसी भी गायक की कॉपी करने से अपनी गायकी में निखार नहीं आ सकता है।
उन्होंने एक विशेष बातचीत में कहा कि उन्हें छोटी-छोटी बातें काफी पसन्द है क्योंकि छोटी-छोटी बातें ही आदमी को मंजिल तक पहुंचाती है। इसलिए वे भी आज भी आकाशवाणी के लिए गज़लों को गाते है। अब तक लगभग 20-25 गजलों के एलबम निकल चुके है जिसमें से साकिया, महफिलें यारा,परछाईयां, सोग्ंस यू विल लव, कुछ आईना ए जिदगी,प्यारा सागर, खूशबू आदि को काफी कामयाबी मिली।
उन्होनें कहा कि जनता सैनिया घराना जिसे राजसथान में कलावंत कहा जाता है इसे सपोर्ट नहीं करती है। उन्होनें कहा कि ‘जिसको देखो मेरे माथे की तरफ देखता है ,दर्द होता कहंा और आर देखता कहां है..’। राजकुमार ने कहा कि जगजीत सिंह की मृत्यु के बाद महफिल की रौनक खत्म हो गई है।
देश में गायकी के चार शिव मत,कृरूण मत,भरत मत व हनुमत मत में से ही गायकी की स्टाईल निकली है। मूलत: राजस्थान के राजकुमार रिज़वी संगीत मशीन का नाम नहीं है। उसे सीखा जाता है। देश में इन्हें इण्डियन मेहदी हसन के नाम से पुकारते है।
उदयपुर में कल ये लॉयन्स क्लब उदयपुर व जे.पी.सीमेन्ट के संयुक्त तत्वावधान में बड़ी स्थित श्री सिद्धा फार्म हाऊस पर आयोजित होने वाली गजल संध्या अपनी पत्नी इन्द्राणी रिज़वी व पुत्री नेहा रिज़वी के साथ गज़ले पेश करेंगे।
अपने मित्रों के विशेष आग्रह पर उदयपुर आये राजकुमार रिज़वी ने अपनी दोनों पुत्रियों रूहानी व नेहा को गायकी की पूर्ण तालीम दी है इौर यही कारण है कि रूहानी देश के ख्यातिप्राप्त संगीतकारो के सानिध्य में फिल्मों में गाने गा रही है। उन्होंने कहा कि ‘चिराग ए दिल उजाले को तुम सहर न कहो, बहाने यूं न बनाओ कि रात जाती है..’, ‘शाख से टूटकर गिरने की सजा दो मुझको,एक पत्ता ही तो हूं हवा दो मुझको..’। इस अवसर पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रसन्न खमेसरा, जी. आर. लोढ़ा, ललित गलुण्डिया, जे. पी. सीमेन्ट के राजेन्द्र शर्मा ,राजेश खमेसरा उपस्थित थे।