उदयपुर. पूरे मेले में पहली बार रविवार को मानों पूरा शहर उमड़ आया था. रविवार तो था, साथ ही कार्यक्रम में आई थी प्रख्यात पंजाबी गायिका और बॉलीवुड की पार्श्व गायिका जसपिंदर नरूला.
udaipur दीपावली दशहरा मेला आयोजित जसपिंदर की पंजाबी नाईट में शहरवासी समय से पूर्व ही आकर अपनी-अपनी जगह पर बैठ गए। सांस्कृतिक संध्या की शुरूआत में सबसे पहले जयपुर से आए ट्विस्टर डांस ग्रुप ने लैला मैं लैला कैसी मैं लैला… व दुनिया में लोगों को धोखा कभी हो जाता है… गाने पर डांस कर श्रोताओं को जोश से भर दिया। इसके बाद आये इंडियन आईडल के प्रतिभागी स्वरूप खान ने मंच आते ही दर्शको को खमा घणी कर दिल ही जीत लिया। उन्होंने सबसे पहले केसरिया बालम पधारो म्हारा देश… जब गाया तो हर एक उनके स्वर में स्वर मिलाने लग गया। उन्होंने बालीवुड के कई गाने गाकर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया. मैं यमला पगला दिवाना ओ रबा इतनी से बात ना जाना… गाकर युवक-युवतियों को थिरकरने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने पॉप और होक की थीम पर कैसे बताएं क्यूँ तुझको चाहें…, आसपास है खुदा…, कब से उनको ढूंढता हूं…, जी करदा…, दमादम मस्त कलंदर…, छाप तिलक…, बिजुरिया बिजुरिया… जैसे गाने गाकर सांस्कृतिक संध्या में चार चांद लगा दिए।
खचाखच भरे प्रांगण में कार्यक्रम के दूसरे दौर में म्यूजिक डायरेक्टर व कई फिल्मों व एलबमों में संगीत दे चुके मिकी नरूला जब स्टेज पर आए तो हर और सिटियों व तालियों की गूंज सुनाई दे रही थी। उन्होंने मंच पर आते ही सबसे पहले बचना हे हसीनों, लो मैं आ गया… सुनाया। देखा न हाय रे सोचा न हाय रे…, ताकते रहते तुझको सांझ सवरे… आदि गीत सुनाये.
मंच पर आई जसपिंदर का लोगों ने गर्मजोशी से करतल ध्वनि से स्वागत किया. उन्होंने सबसे पहले प्रभु की आराधना करते हुए गणपति वंदना की। इसके बाद उन्होंने स्टेज पर जब दमादम मस्त कलंदर…, हम मिले तुम मिले दिल मिले जाने जा… के बाद जब उन्होंने पंजाबी गीत मुंडा तु है पंजाबी सोना तेर विच दिल आ गया… गाया तो दर्शक झूम उठे. उन्होंने मौत न आई तेरी याद क्यों आई लंबी जुदाई… की प्रस्तुति दी। जसपींदर के साथ इंडियन आईडल प्रतिभागी स्वरूप खान ने लोक गीत पधारो म्हारे देस… की अनूठी जुगलबंदी पेश की. उन्होनें कई फिल्मी के गानों के साथ साथ सुफी व धार्मिक गाने गाकर देर रात तक समा बांधे रखा। जसपिन्दर नरूला ने जब अंत में फिल्म प्यार तो होना ही था का टाईटल सोंग गाया तो युवा झूम उठे.
सुफी गानों के बारे में डा. जसपींदर नरूला का कहना है कि हम जिसे सुफी मानते हैं दरसल वह सूफी नहीं है। संतों की लिखी हुई वाणी सुफी है। गुरूनानक साहब, मीरा, सूरदास, कबीर जैसे संतों का लिखा हुआ सुफी होता है। उन्होंने बताया कि इस पंजाबी गायक को सुनने व देखने के लिए सभी में काफी होड सी लगी रही। कोई उनसे ऑटोग्राफ लेन तो कोई उनके साथ फोटो खिचाने को आतुर था.
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