शिक्षा यज्ञ के पण्डित पं. नागर का स्मरण
Udaipur. एक ओर जहां देश में महात्मा गांधी स्वतंत्रता की अलख जगा रहे थे वहीं दूसरी ओर मेवाड़ के सुदूर आदिवासी अंचल में पं. नागर शिक्षा की ज्योत जलाने में व्यस्त थे । उनके लेखन कला, शैली , साहित्यों में रूचि को समर्पण के आज भी उन्हें प्रांसगिक बनाते है।
यह कहना है प्रख्यात साहित्यकार प्रो. सत्यनारायण व्यास का। वे जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संस्थापक पं. नागर की 102 वीं जयंती पर आयोजित व्याख्यानमाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंरने कहा कि गरीबी को भौतिक संसाधनों से दूर किया जा सकता है लेकिन अज्ञानता भगाने के लिये शिक्षा की जरूरत होती है। विद्यापीठ की स्थापना जन्नु भाई की अज्ञानता दूर करने की सोच का ही परिणाम था ।
मुख्य अतिथि चांसलर भवानी शंकर गर्ग ने कहा कि स्व. नागर ने साक्षरता, बेहतर शिक्षा तथा मूल्य बोध के लिये ही राजस्थान विद्यापीठ की स्थापना की। वे शिक्षा, स्वतंत्रता को लोकतंत्र के लिये जरूरी मानते थे। उन्होंने बताया कि शिक्षा का उद्देंश्य व्यक्ति को साक्षर एवं प्रबुद्ध नागरिक बनाते हुए जीविकोपार्जन के लिये तैयार करना हैं लेकिन वास्तविक उद्देश्य मनुष्य के सभी पहलुओं से व्यापक बनाना और विकसित करना।
सामूहिक हित की भावना – अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने बताया कि जन्नू भाई अपने आप में किसी पुरस्कार से कम नहीं थे। उन्होने संस्था का आरम्भ रात्रिकालीन साक्षरता केन्द्र के रूप में किया । उन्होंने शोषित पीडि़त, खेतीहर मजदूर एवं निम्न तबके के लोगों के लिये गा्रमीण अंचलों में सामुदायिक शिक्षा का प्रचार प्रसार किया। उन्होंने ग्रामीण अंचलों में जन शिक्षण केन्द्रों की स्थापना की । विशिष्ट अतिथि कुल प्रमुख भॅवरलाल गुर्जर ने कहा कि पं. नागर ने 1937 में जो नवाचार प्रयोग किये समाज को आज उसका लाभ मिल रहा है।
आरम्भ में परिसर में स्थित नागर की प्रतिमा पर कार्यकर्ताओं द्वारा पुष्पांजली अर्पित की गई। संचालन डॉ. लक्ष्मीनारायण नन्दवाना ने किया। धन्यवाद रजिस्ट्रार डॉ. प्रकाश शर्मा ने दिया। इस अवसर पर प्रो. भवानी शंकर गर्ग, प्रो. सत्यनारायण व्यास का कार्यकर्ताओं की ओर से शॉल ओढाकर मोमेन्टो प्रदान कर स्वागत किया गया। इस अवसर पर प्रो. मनोहर सिंह राणावत, प्रो. वी. पी. शर्मा, प्रो. एन.एस. राव, डॉ0 सी. पी अग्रवाल, डॉ. मन्जु माण्डोत, डॉ. हरीश शर्मा, डॉ. गिरीश नाथ माथुर, डॉ. शशि चित्तोडा, डॉ. हेमेन्द्र चौधरी, डॉ. संजीव राज पुरोहित, डॉ. हेमशंकर दाधीच, डॉ. सुमन पामेचा, डॉ. दिलीप सिंह चौहान, आशीष नन्दवाना, सुभाष बोहरा, डॉ. मनीष श्रीमाली सहित कार्यकर्ता एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।