बढ़ गया है प्रस्तावित एलिवेटेड रोड़ का खर्च
सेवानिवृत्त अभियंताओं ने किया विचार-विमर्श
Udaipur. शहर में उदियापोल से कोर्ट चौराहा तक प्रस्तावित एलिवेटेड रोड (फ्लाईओवर) शहर को कुल मिलाकर 20 प्रतिशत से अधिक फायदा नहीं पहुंचा पाएगी। ऐसा अभियंताओं, तकनीकी अधिकारियों का मानना है। इन सभी ने विज्ञान समिति के प्रबुद्ध चिंतन प्रकोष्ठा की आयोजित बैठक में एलिवेटेड रोड के प्रस्तावित प्रारूप पर विचार किया। बैठक में यूआईटी के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।
क्या चाहिए और क्या है प्रारूप में!
इण्डियन रोड कांग्रेस के तकनीकी मापदंडो के आधार पर एलिवेटेड रोड की एकतरफा सड़क की चौड़ाई कम से कम 7.5 मीटर, मध्य विभाजन एक मीटर एवं फुटपाथ 1.5 मीटर, कुल चौड़ाई 19 मीटर एवं यातायात की गति 40 से 50 किमी प्रति घंटा हो। साथ ही फ्लाईओवर पर घुमाव नहीं हो क्योंकि यह यातायात गति को कम करता है जबकि अहमदाबाद की फर्म मार्स के मार्फत यूआईटी द्वारा बनवाए गए प्रारूप में एक तरफा सड़क चौड़ाई 5.5 मीटर रखने के साथ कुल चौड़ाई 14 मीटर तक ही सीमित रखा गया है। सूरजपोल चौराहा से पूर्व, कस्तूरबा चिकित्सालय मोड़ एवं देहली गेट से कोर्ट चौराहा मोड़ पर मुड़ाव होने का कोई समाधान नहीं बताया गया है। उदियापोल से कोर्ट चौराहे तक वर्तमान सड़क की चौड़ाई 15 से 25 मीटर के मध्य है अतः एलिवेटेड रोड की चौड़ाई 14 मीटर से अधिक रखना सम्भव नहीं है। मात्र 5.5 मीटर की एकतरफा चौड़ाई से दो गाड़िया साथ-साथ नहीं चल सकती एवं ओवरटेक करने में भारी कठिनाई आएगी। इन सबके अतिरिक्त उदियापोल से कोर्ट चौराहा की सड़क के दोनों ओर स्थित व्यापारिक प्रतिष्ठानों की विजिबिलिटी में भी अवरूद्धता आएगी एवं इनके व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। फ्लाईओवर के प्रारम्भ एवं अंत पर निर्माण किए जाने वाले ठोस बनावट क्रमशः 180 एवं 120 मीटर लम्बाई की होगी और उसके बनने के बाद शेष रही दोनों तरफ की सर्विस रोड पर यातायात गतिपूर्वक एवं सुगम नहीं रहेगा। एलिवेटेड रोड के प्रारूप में सूरजपोल, बापूबाजार, देहलीगेट पर कहीं भी भुजा का निर्माण प्रस्तावित नहीं है जिससे अलग-अलग मार्गों से आने-जाने वाला यातायात इस एलिवेटेड रोड का उपयोग नहीं कर पाएगा। वर्तमान एलिवेटेड रोड का वर्तमान प्रारूप एवं यातायात आंकड़ों के आधार पर 15 से 20 प्रतिशत यातायात को ही सुगम एवं गतिमान बना पाएगा।
खो देंगे हेरिटेज लुक
अंतिम एवं महत्वपूर्ण बिन्दु पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह एलिवेटेड रोड बनने से उदियापोल, सूरजपोल एवं हाथीपोल के पुरातत्व महत्व के दरवाजों की दर्शनीयता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इस फ्लाईओवर की उपयोगिता एवं खर्च को देखते हुए नगर विकास प्रन्यास को पुनः विचार करना चाहिए और उच्च तकनीकी परामर्श के आधार पर ही इसकी उपयोगिता पर निर्णय करना चाहिए।
बढ़ गया है अनुमानित खर्च
वर्ष 2008 के अनुमानों के आधार पर इस एलिवेटेड रोड पर आने वाला खर्च करीब 38 करोड़ रूपया दर्शाया गया जिसमें वर्तमान 33 एवं 11 के.वी. विद्युत लाईनें, पानी, दूरसंचार लाइन, जल विकास व्यवस्था का स्थानांतरित खर्च सम्मिलित नहीं है। वर्तमान मूल्य के आधार पर, जनहित साधनों का स्थानान्तरित खर्च एवं तकनीकी दृष्टि से प्रस्तावित भुजाओं के खर्च यदि समावेश करें तो यह खर्च 100 से 120 करोड़ के मध्य आएगा। इस भारी खर्च के बावजूद भी हम यातायात व्यवस्था को शायद ही सुगम बना पाएं एवं इस शहर के हेरिटेज लुक को बिगाड़ देंगे। यह चिन्तन भी किया गया कि उदियापोल से कोर्ट चौराहा तक यातायात का दबाव कैसे कम करें।
हटाने होंगे शहर से कार्यालय
डॉ. एल. एल. धाकड़ ने अपने प्रजेन्टेशन में कहा कि मास्टर प्लान में दर्शाई हुई आरक्षित भूमि पर 481 एकड़ भूमि पर एलिवेटेड रोड के वर्तमान खर्च से देहलीगेट के आसपास स्थित सभी सरकारी कार्यालय जिसमें कलक्ट्रेट, एसपी एवं डीआईजी, कोर्ट, खान एवं भू विज्ञान विभाग, तहसीलदार, रजिस्ट्री प्रथम एवं द्वितीय कार्यालय को स्थानान्तरित किया जाए जिससे वर्तमान सड़क पर यातायात दबाव कम होगा। करीब 75 वर्ष पूर्व बने इन कार्यालय, भवनों के स्थान पर आधुनिक तकनीक युक्त भवनों के साथ पार्किंग स्थल, रेस्टोरेन्ट, बगीचे, जनोपयोगी सुविधाओं युक्त कार्यालय भी बन पाएंगे। आए दिन कलक्ट्रेट के सामने होने वाले प्रदर्शन एवं धरने से आवागमन एवं यातायात में अवरूद्धता नहीं होगी। अहमदाबाद-चित्तौड़गढ़ से आने वाले एवं नाथद्वारा-रणकपुर जाने वाले यातायात दबाव को हम भुवाणा-प्रतापनगर बाइपास पर अच्छे रेस्टोरेन्ट, होटल्स एवं अन्य जनसुविधायुक्त बना दें तो शहर की मुख्य सड़कों पर यातायात का दबाव काफी कम किया जा सकता है।
यूआईटी ने बताए ये समाधान
गोष्ठी में नगर विकास प्रन्यास के सचिव आर. पी. शर्मा, अधीक्षण अभियन्ता अनिल नेपालिया ने भी विचार व्यक्त किए। सचिव ने फ्लाईओवर के प्रस्तावित डिजाइन पर विस्तृत चर्चा के साथ इस मुख्य सड़क मार्ग पर यातायात दबाव को कम करने हेतु प्रस्तावित सड़कों (1) उदियापोल बस स्टैण्ड से टीएसवी हॉस्टल-कुम्हारों का भट्टा, (2) मेवाड़ मोटर्स गली से राजस्थान कृषि महाविद्यालय के सहारे शक्तिनगर व (3) एम.बी. कॉलेज चौराहे से सुखाड़िया समाधि तक निर्मित होने वाली सड़कों पर प्रकाश डाला। नेपालिया ने कहा कि इस एलिवेटेड रोड निर्माण में तकनीकी विश्लेषण को अधिक सक्षम बनाने हेतु देश की प्रतिष्ठित कम्पनी लार्सन एवं ट्यूब्रो को यह कार्य दिया गया है। उनसे प्राप्त तकनीकी परामर्श पर ही इस एलिवेटेड रोड के निर्माण पर अंतिम रूप से निर्णय किया जाएगा।
चर्चा के मुख्य वक्ता सार्वजनिक निर्माण विभाग के पूर्व अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता जे. एस. दवे, हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य अभियन्ता एल. एल. सिंघटवाड़िया थे। इस अवसर पर सेवानिवृत्त डीआईजी सत्यप्रकाश खड़गावत, बी. आर. अरोड़ा, डॉ. के. एल. कोठारी, प्रो. के. एल. बंसल, रमेश भटनागर ने भी विचार व्यक्त किए। इन्हों ने कहा कि उदयपुर के यातायात को सुगम बनाने हेतु अतिक्रमण सड़क निर्माण एवं रखरखाव पर विशेष ध्यान देने के साथ थैलों के ठहराव एवं टेम्पो चलन पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।