Udaipur. पर्यूषण के सातवें दिन ध्यान दिवस पर श्रावकों को ध्यान की महिमा बताते हुए शासन श्री रविन्द्र मुनि ने कहा कि ध्यान एक साधना है। जैन धर्म व दर्शन में 4 तरह के ध्यान को प्रमुखता दी गई है। उन्होंने कहा कि शरीर की शुद्धि तो नहाने से हो जाती हैं परन्तु भीतर की मलीनता, गंदगी को दूर करने के लिए ध्यान करना सबसे बेहतर प्रयोग है।
ध्यान के प्रयोग से ही आत्मा का शुद्धिकरण होता है। ध्यान करने से भीतर की चेतना जागृत होती है। शासन श्री ने कहा कि भोजन करने से भूख ना मिटे, पानी पीने से प्यास और दवा लेने से रोग दूर ना हो तो यह सब करने से क्या फायदा? उसी तरह मन में प्रबल इच्छा के बिना ध्यान करना भी निरर्थक है। मन की प्रबल इच्छा के साथ ध्यान किया जाये तभी परिवर्तन संभव है।
तपोमूर्ति मुनि पृथ्वीराज ने ध्यान दिवस पर श्रावकों को सामूहिक रूप से ध्यान कराया जिसमें उन्होने चित्त सुधि के लिए ब्रह्ममुद्रा, प्रेक्षा ध्यान, दीर्घ श्वास प्रेक्षा का ध्यान कराया। साथ ही ध्यान के दौरान संकल्प भी कराया ताकि व्यक्ति अन्तर्मुखी बने और आत्मा व चित्त की शुद्धि हो। उन्होने कहा कि ध्यान से पूर्व ध्यान करने की भावना बने उसके लिए पहले यह आस्था भीतर से जगाये की ध्यान करना है। ध्यान करने से चित्त की शुद्धि होती है, क्रोध, आवेश-आवेग शान्त, वासना में क्षीणता आती हैं तथा कषाय से भी मुक्ति मिलती है। इससे पूर्व ज्ञान शाला के नन्हे बालको रिद्धी माण्डोत,आयूषी मेहता, आरूषी मेहता, सृष्टि मेहता एवं शशांक मारू ने मंगला चरण किया। ज्ञानशाला के बच्चों ने ही शनिवार शाम को ज्ञानशाला की प्रस्तुति दी। सभा का संचालन मंत्री अर्जुन खोखावत ने किया।
सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि सोमवार को पर्यूषण के अंतिम दिन संवत्सरी महापर्व मनाया जाएगा। पर्यूषण काल में नमस्कार महामंत्र का अखंड जप अनुष्ठान किया जा रहा है। सोमवार को संवत्सरी महापर्व के अनुष्ठान होंगे। मंगलवार को क्षमायाचना दिवस मनाया जाएगा। निकट सम्बंधियों, परिजनों, रिश्तेदारों, मित्रों से वर्ष भर में जाने-अनजाने में हुई गलतियों की क्षमाप्रार्थना की जाएगी।