ज्योतिष तथा वास्तु शास्त्र पर मासिक संगोष्ठी
udaipur. वास्तु एक प्राचीन जीवन शैली है । यह एक विधा है जो हमें हमारे जीवन में खुशहाली, सम्पन्नता और अच्छाईयों में वृद्धि करने का मार्ग प्रशस्त करता है । प्रचान जमाना वैदिक एवं आध्यात्मिक था जिससे हर घर तथा परिवार में मानसिक शन्ति का वास था । परन्तु आज का युग आधुनिक एवं भौतिकवादी है।
हर व्यक्ति स्वार्थ से जुडा हुआ है । वह अपने स्वार्थ के लिये दूसरो का शोषण कर रहा है। आज के युग में शान्ति एवं सहिष्णुता का अभाव है। ये विचार जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के ज्योतिष एवं वास्तुशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित मासिक संगोष्ठि में मुख्य अतिथि पंण्डित हरीशचन्द्र शर्मा ने शनिवार को विचार प्रकट किये। विशिष्ठ अतिथि आर. एल. पारीख ने बताया कि वास्तु के निर्माण में तीन बातें आवश्यक है – आकाश (स्थान ), काल (समय ) एवं ऊर्जा। वास्तु शास्त्र वेदों से बना हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ0 अलख नन्दा शर्मा ने की। स्वागत उद्बोधन बाहुबल प्रकाश जैन ने किया । धन्यवाद पं. रवि सुखवाल ने दिया । इस अवसर पर विद्यार्थियों में राजेन्द्र प्रसाद जैन, लता सोनी, नरेश हरकावत, रचना भटनागर, मिनु शर्मा, पण्डित नरोत्तम आमेटा, विकास शर्मा ने भी विचार व्यक्त किये।