32 और 16 उपवास करने वाले सभी तपस्वियों का बहुमान
Udaipur. सर्वऋतुविलास स्थित अन्तर्मना सभागार में पर्यूषण पर्व के दौरान 32 और 16 उपवास करने वाले सभी तपस्वियों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। 32 उपवास के तपस्वी पुष्पा देवी मोहन नागदा, शीतल जैन और नरेश नागदा सहित 16 उपवास के भी तपस्वियों को तिलक लगा श्रीफल देकर सम्मान किया और मुनिश्री प्रसन्न सागर महाराज के हाथों विशेष रूप से बनाए गए स्मृति चिन्ह और पुष्पदन्त पुस्तक प्रदान की गई।
मुनि प्रसन्न सागर ने पंच दिवसीय अर्न्तमना स्वर्णिम तीर्थयात्रा उदयपुर से पारसनाथ के तीर्थ यात्रियों को शुभाशीष दिया। यह पर्वत कुल 27 किलोमीटर चढ़ने, उतरने, की दूरी से हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि इस तीर्थ वंदना करने से 33 कोटी 234 करोड़ 74 लाख उपवास का फल प्राप्त होता है। मुनिश्री ने बताया कि, अगर आप एक सफल व्यक्ति बनना चाहते हो तो मेरी एक नसीहत ध्यान में रखना, सफलता के लिये जी जान से कोशिश करना, मगर सफलता का नशा कभी दिमाग में मत चढ़ने देना। कारण कि सफलता का नशा दिमाग में चढ़ गया तो तो फिर तुम्हार दिमाग सातवें आसमान पर चढ जायेगा। और फिर जब तुम सातवे आसमान से नीचे गिरोगे तो कही के नही रहोगे। इस बात का हमेशा ध्यान रखना कि कभी इतना ऊँचा भी मत जाना कि लोग तुम्हें अपनी आँखों से ना देख सके।
मुनि ने कहा, कि हर धर्म, मजहब के अपने तीर्थ होते है, जिनकी यात्रा का महत्व है। हिन्दु धर्म में चार धाम की यात्रा, इस्लाम में मक्का मदीना, सिख धर्म में अमृतसर और जैन धर्म में श्वेताम्बर आमनायं का पालीताणा तीर्थ प्रमुख है। इसी तरह दिगम्बर आमनायं मे सबसे प्रमुख तीर्थ सम्मेद शिखर पर्वत हैं जिसकी यात्रा हर किसी को नसीब नहीं होती। जिसके बारे मे कहा गया है कि ‘‘एक बार भाव सहित बन्देजो कोई, ताहि नरक शुगति नही होई।
सम्मेदशिखर जी की यात्रा करने वालों ने लिया आशीर्वाद
अर्न्तमना रजत वर्षायोग समिति के प्रचार प्रसार मंत्री महावीर प्रसाद भाणावत ने बताया कि सम्मेदशिखरजी की यात्रा करने वाले सभी तीर्थ यात्री आज की सभा मे उपस्थित थे, जो श्रीफल लेकर आये थे, मुनिश्री द्धारा मन्त्र उच्चारण करते हुये अभिमन्त्रित किया और सबकी यात्रा निर्विघ्न सम्पन्न होने का मंगल आशीर्वाद दिया। डां. मोहन नागदा ने तीर्थयात्रा मे दी जाने वाली सुविधाओं को विस्तार से बताया और सभी से उल्लिखित मर्यादायें एवम् नियमों का पूर्ण पालन करने के लिये कहा। उपस्थित सभी महानुभावों ने हाथ उठाकर संकल्प किया।