Udaipur. मोदी आए और चले गए लेकिन पीछे कई सवाल छूट गए। क्या यह वाकई जनजाति सम्मेलन था या चुनावी प्रचार का आगाज..। या शक्ति प्रदर्शन का मौका। जहां कटारिया गुट ने न सिर्फ मोदी बल्कि वसुंधरा और किरण माहेश्वरी के सामने भी शक्ति प्रदर्शन कर दिखा दिया कि मेवाड़ में उनके बिना भाजपा का काम नहीं चल सकता।
कटारिया गुट के लोग करीब एक माह से इस सभा की तैयारी कर रहे थे। सराड़ा, जावर माइंस आदि इलाकों से भी लोगों को बसों में लाया गया। आने वाले लोग तो सुबह आ गये लेकिन सर्द मौसम में अंधेरा ढलते ढलते सभी को जाने की लगी रही। एक ओर जहां शहर में निकली रैली में मात्र दो हजार की भीड़ नहीं दिखी वहीं मोदी को सुनने के लिए गांधी ग्राउंड पूरी तरह पैक रहा। जानकारों का मानना है कि मोदी के जादुई व्यक्तित्व के अनुसार मोदी जनता को रिझा नहीं पाए।
उधर कहीं कहीं तो कटारिया ने जता भी दिया। चाहे वह वसुंधरा के रैली में देर से आने के कारण किरण माहेश्वरी को झटकना था या वसुंधरा के अभिवादन का जवाब नहीं देकर परे देखना। एक ओर रैली हो रही थी वहीं दूसरी ओर कटारिया विरोधी गुट के लोग सूरजपोल स्थित पान के केबिन पर खडे़ गपिया रहे थे। जनजाति क्षेत्रों से आए लोगों ने रैली में एकाध बार तो भाजपा हाय-हाय के नारे भी लगा दिए लेकिन उसे रोकने के बाद सुधार कर भाजपा जिंदाबाद के नारे लगाए गए।
वसुंधरा के संबोधन में बार-बार धरियावद-प्रतापगढ़ का जिक्र करना कटारिया विरोधी नंदलाल मीणा की याद दिलाता रहा। कटारिया के सभी समर्थकों ने न सिर्फ चौराहों बल्कि पूरे शहर को भाजपामय कर दिया। क्या- भाजयुमो शहर जिला के पदाधिकारी जिनेन्द्र शास्त्री के नेतृत्वृ में और क्या उद्योग प्रकोष्ठ के धीरेन्द्र सिंह सचान, तनवीरसिंह कृष्णावत के नेतृत्वृ में कार्यकर्ताओं ने दिन रात एक कर लोगों को भंडारी दर्शक मंडप तक खींचकर ले जाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।