धन्वन्तरि महोत्सव
Udaipur. अरावली पर्वतमाला में जडी बूटियां प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। यदि इन जडी़ बूटियों की पहचान कर आमजन में इनके उपयोग एवं लाभों के बारे में जानकारी दी जाये तो छोटी बड़ी बीमारियों का निदान हो सकता है साथ ही विलुप्त हो रही जडी बूटियां को पुनर्जीवन देने हेतु सामूहिक रूप से प्रयास किये तो समय रहते इन्हें बचाया जा सकता है।
सिंधी बाजार स्थित आदर्श औषधालय प्रदर्शनी में 80 तरह की जड़ी-बूटियों के गुण, उपयोग एवं महत्व की जानकारी पोस्टरों के माध्यम से दर्शाई गई है। चिकित्सा प्रभारी डॉ. शोभालाल औदीच्य ने बताया कि भारत में आयुर्वेद से इलाज की पद्धति 3 हजार वर्ष से भी अधिक पुरानी है। चरक और सुश्रुत जैसे महर्षि वनस्पति के महत्व को जानते थे। वे उनसे केवल रोगो का इलाज ही नहीं वरन शल्य चिकित्सा भी किया करते थे। स्वार्थ और विकास की अंधी दौड़ में वनों की कटाई के कारण कितनी ही जडी़-बूटियां नष्ट हो गई। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के अनुसार इस तरह वनों की कटाई की गई तो 21वीं सदी के मध्य 6000 के लगभग वनौषधियां लुप्त हो जाएगी। वनौषधियों का संरक्षण एवं संवर्धन हेतु सार्थक प्रयास किये जाने चाहिए। यह प्रदर्शनी औषधालय समय में देखी जा सकती है। इस अवसर पर औषधालय के नर्स रुक्मिणी कलासुआ, रूकमणी परमार, कम्पाउण्डर अमृतलाल, नर्स इन्दिरा डामोर, शंकरलाल मीणा, रामसिंह ठाकुर, गजेन्द्र आमेटा आदि उपस्थित थे। 31 अक्टूबर को थायराइड रोग निवारण चिकित्सा शिविर आयोजित किया जाएगा।