आज थमेगा चुनाव प्रचार, झोंकी ताकत
udaipur. लगभग बीस दिन से चल रहे चुनाव प्रचार का होहल्ला शुक्रवार शाम थम जाएगा। प्रत्याशी व समर्थक घर-घर घूम-घूमकर जनसंपर्क करेंगे। प्रत्याशी असमंजस में है वहीं मतदाता मौन है। एक दिसंबर को होने वाले मतदान में सभी प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में बंद हो जाएगा जो 8 दिसंबर को खुलेगा।
उदयपुर शहर : नामांकन के समय कमजोर माने जा रहे कांग्रेस के प्रत्याशी दिनेश ने भाजपा के कद्दावर प्रत्याशी गुलाबचंद कटारिया के समक्ष हरसंभव प्रयास कर दिखाया है। हर मतदाता को रिझाने-लुभाने का हरसंभव वायदा, युवा प्रत्यारशी होने का दावा किया है। क्या उनके दावे मतदाता के मन में इतने वर्षों से बैठे कटारिया की छवि को धूमिल कर पाएंगे। कटारिया के काफी अंतरविरोधी होने के बावजूद उन्होंने अपने क्षेत्र के अलावा उदयपुर की अन्यम सीटों के लिए भी जनसंपर्क किया और समर्थन मांगा। राजपूत और ब्राह्मण वोटों को अपने पक्ष में लाने के लिए कटारिया ने समाजों के साथ मीटिंग भी की लेकिन उनकी यह मीटिंग कितनी कामयाब होगी, इसका पता 8 दिसंबर को चल पाएगा।उदयपुर ग्रामीण : एकतरफा माने जा रहे कांग्रेस प्रत्यांशी सज्जन कटारा एवं भाजपा प्रत्याशी फूलसिंह मीणा के मुकाबले को त्रिकोणीय संघर्ष में बदलने का श्रेय कांग्रेस के ही बागी देवेन्द्र मीणा को जाता है। बताया जा रहा है कि देवेन्द्रघ मीणा ने बीस दिन में पूरे क्षेत्र की हवा ही बदल दी है और कटारा की राह मुश्किल कर दी है लेकिन कटारा परिवार का पुराना बैकग्राउंड और जमीन से जुड़ा होना कहीं न कहीं काम आएगा। उधर पार्षद से विधायक का प्रत्याशी बनाए गए फूलसिंह को आरंभ से ही मुकाबले में माना ही नहीं जा रहा था।मावली : यूं तो यहां कांग्रेस के पुष्कर डांगी और भाजपा के दलीचंद डांगी के बीच सीधा मुकाबला है। कटारिया ने शांतिलाल चपलोत, धर्मनारायण जोशी एवं मांगीलाल जोशी जैसे दिग्गजों के नाम काटकर डांगी कार्ड खेलते हुए मंडल अध्यक्ष दलीचंद डांगी को टिकट दिलाया। दलीचंद सीधे मतदाताओं से संपर्क करने में लगे हैं वहीं पुष्कर डांगी आश्वस्त हैं। कहीं उनकी यह अधिक महत्वाकांक्षा ही उनकी नैया को पार नहीं लगा सके।वल्लभनगर : हालांकि यहां भी पहले एकतरफा माहौल था और कांग्रेस के बागी होकर बाद में भाजपा के प्रत्यारशी बने गणपत मेनारिया और कांग्रेस के अधिकृत गजेन्द्र सिंह शक्तानवत में ही मुकाबला था लेकिन उदयपुर जिले की सबसे हॉट सीट बनाने और त्रिकोणीय मुकाबले में बदलने का श्रेय रणधीरसिंह भींडर को जाता है। इस सीट पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। भींडर ने यहां से बागी के रूप में लड़कर न सिर्फ मेवाड़ में कटारिया की जमी जमाई सियासत को ललकारा है बल्कि वसुंधरा खेमे के माने जाने वाले भींडर ने वसुंधरा की भी खिलाफत की है। हालांकि उनका मानना है कि उन्हें जनता ने टिकट दिया है।सलूम्बर : यहां एकतरफा कांग्रेस की विजय मानी जा रही है। भाजपा के अर्जुनलाल मीणा का टिकट काटकर कटारिया ने यहां से अमृत मीणा को टिकट दिया। भाजपा यहां बिखरी बिखरी है जबकि कांग्रेस प्रत्याशी बसंतीदेवी मीणा को सांसद रघुवीर मीणा की पत्नीअ होने तथा गृहक्षेत्र का काफी लाभ मिलेगा।
गोगुंदा : यह सीट देहात जिलाध्यिक्ष लालसिंह झाला के क्षेत्र की है। यह उनकी नाक का सवाल भी बन गई है। हालांकि झाला शहर विधानसभा से प्रबल दावेदार थे लेकिन ऐन मौके पर डॉ. सी. पी. जोशी ने उनके बजाय नवोदित प्रत्याशी पार्षद दिनेश श्रीमाली को टिकट दे दिया। कुछ दिन तक झाला कोप भवन में भी रहे लेकिन अंततोगत्वा पार्टी के उम्मीदवार मांगीलाल गरासिया के पक्ष में लग गए।
झाड़ोल : यहां कांग्रेस के हीरालाल दरांगी का मुकाबला भाजपा के बाबूलाल खराड़ी से है। कांग्रेस ने यहां के पूर्व विधायक कुबेरसिंह भजात के पुत्र सुनील भजात को बागी होने से हालांकि रोक तो लिया लेकिन यहां भाजपा के मंडल अध्यक्ष एवं ए क्लास कांट्रेक्टर भंवरसिंह देवड़ा का काफी होल्ड माना जाता है।