पहुंच गई तीन करोड़ की डिविडिंग मशीन
उदयपुर। नगर की झीलों की साफ-सफाई के लिये राष्ट्रीय झील सरंक्षण परियोजना के तहत एक्वेटिक वीट हार्वेस्टर (डिविडिंग मशीन) रविवार को मुम्बई से उदयपुर पहुंची। सोमवार से एसेम्बलिंग का काम शुरू हो गया। इससे पूर्व जनता के सहयोग से मैनुअली या जेसीबी से जलकुंभी निकाली जाती थी। मशीन के आने से अब शहर की झीलें जलकुंभी मुक्त रह सकेंगी।
महापौर रजनी डांगी ने पिछोला के पश्चिमी छोर सिसारमा के निकट इस मशीन का अवलोकन किया। उनके साथ निगम की निर्माण समिति के अध्यक्ष प्रेमसिंह शक्तावत, राष्ट्रीय झील संरक्षण परियोजना (एनएलसीपी) के टीम लीडर बाबूलाल कोठारी, अधिशासी अभियन्ता नीरज माथुर, मुकेश पुजारी, कनिष्ठस अभियन्ता सुनील प्रजापत भी थे।
महापौर ने बताया कि पानी में डेढ़ मीटर की गहराई तक जलीय घास को काटने वाली इस मशीन की लागत 2.85 करोड़ रुपए है। इसका रखरखाव पांच साल तक संबंधित कम्पनी करेगी जिसका रखरखाव व्यय 1 करोड़ 35 लाख रुपए होगा। उन्होंने बताया कि इस मशीन से जलीय घास कटकर ऑटोमेटिक कन्वेयर पर आयेगी और इसी कन्वेयर से झील किनारे खाली हो जाएगी जहां से इसे ट्रेचिंग ग्राउण्ड पर डम्प किया जायेगा। उन्होंने बताया कि एसेम्बलिंग के बाद विधिवत उद्घाटन कर इसे जल्दी ही झीलों में उतारा जायेगा।