अम्बाबवगढ़ में ज्योत्सना झाला पर लगाया अवैध निर्माण का आरोप
उदयपुर। मेरे मकान के पीछे स्थित मकान पर माननीय न्यायालय ने रोक लगा रखी है। इसके बावजूद उक्त मकान मालकिन ने अंदर ही अंदर पूरा होटल का निर्माण कर लिया। इसकी जानकारी नगर निगम सहित प्रशासन और जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों को देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
अम्बावगढ़ निवासी मोहम्मद शकील पुत्र अब्दुल गफ्फार ने आज यहां लेकसिटी प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि उक्त वादग्रस्त एवं निर्माण निषेध में बनी होटल को कई बार सीज किया, कई बार मौका पर्चा बनाया लेकिन आज तक कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण कोई उचित कार्यवाही नही हुई। वादग्रस्त मकान का निर्माण ज्योत्सकना झाला पत्नी सतपाल सिंह डोडिया करवा रहे है। इन्होंने शपथ पत्र में नगर निगम आयुक्त को 12.01.2012 को यह तर्क दिया कि बढ़ते परिवार की जरूरत के लिये हम दो बेटो के लिये दो कमरों का निर्माण कार्य करवा रहे हैं, हमारा मकान तो पुराना है। हम कोई होटल एवं अवैध निर्माण का कार्य कर नहीं कर रहे हैं। हम तो पुराना मकान तोडक़र नया मकान बना रहे हैं।
वादग्रस्त परिसर मकान नहीं बल्कि एक होटल के रूप में काम ली जा रही है जिस होटल को गिरनार विला का नाम दिया गया और होटल का सारा बॉयोडेटा गिरनार विला के नाम से इंटरनेट पर डाला गया है। इंटरनेट पर होटल का सारा बॉयोडेटा गिरनार विला के नाम से उपलब्ध है। यह होटल चालू करने का एक बहुत बड़ा सबूत है। झूठ का सहारा लेकर आवासीय भूखण्ड पर नया अवैध निर्माण करवाकर होटल के रूप में लिया गया जिससे नगर निगम राजस्व विभाग को लाखों रुपए का राजस्व नुकसान दिया गया। शकील ने बताया कि मैं तीन साल से बहुत परेशान हूं। तीन वर्ष से लगातार चक्कर लगा रहा हूं लेकिन मुझ विकलांग की सुनने वाला कोई नहीं है। मेरे मकान का सारा मालिकाना हक खराब हो रहा है। मकान की छतों पर शराब की खाली बोतलें तथा गंदा कचरा डाल दिया जाता है और हमें अल्पसंख्यक कहकर यह डराया जाता है कि तुम कितना भी कुछ कर लो, हमारा कोई भी कुछ बिगडऩे वाला नहीं है।
होटल के बारे में इंटरनेट पर यह तर्क दिया गया कि हमारी होटल फतहसागर से मात्र 100 फीट दूरी पर स्थित है जबकि निर्माण निषेध क्षेत्र 500 मीटर के दायरे में आता है। यह बात समझ में नही आती कि निर्माणकर्ता ग्राहकों को बेवकूफ बना रहे है या नगर निगम को। वादग्रस्त होटल वर्तमान में निर्बाध रूप से चालू है तथा इससे साफ जाहिर है कि इसमें नगर निगम के अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलिभगत है जो सब कुछ जानकर भी अंजान है। इन सब के बावजूद भी नगर निगम के आयुक्त महोदय ने 7 दिन में उक्त वादग्रस्त होटल पर उचित कार्यवाही नहीं की तो मजबूरन हमें आमरन अनशन करना पड़ेगा, जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रशासन पर रहेगी।