आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी वर्ष में वरिष्ठ नागरिक संस्थान की ओर से कार्यशाला
वरिष्ठजनों को याद दिलाए प्राकृतिक चिकित्सा के गुर
उदयपुर। प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. छैलबिहारी शर्मा ने कहा कि आज हर व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त है। आम बीमारियां धीरे धीरे लापरवाही के कारण खास बीमारियों में बदल जाती है। प्राकृतिक चिकित्सा सबसे सहज है लेकिन चूंकि हमारे यहां तो घर की मुर्गी दाल बराबर की कहावत बरसों से चरितार्थ है, इसलिए भी इस ओर लोगों का कम ही ध्यान जाता है।
वे आचार्य श्री तुलसी जन्म शताब्दी वर्ष के तहत आयोजित त्रिदिवसीय कार्यक्रमों के दूसरे दिन भुवाणा स्थित महाप्रज्ञ विहार में रविवार को आचार्य श्री तुलसी वरिष्ठ नागरिक संस्थान की तृतीय कार्यशाला को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जोड़ों में दर्द बहुत आम है। इसके लिए शरीर में 32 कारट्रिलिज हैं जिनमें मुख्य रूप से घुटने, वोकल कोर्ड एवं हृदय की कारट्रिलिज में समस्या आती है। घुटनों के लिए हर कोई सीधे या तो घुटने की एक्सरसाइज करता है या सेक करता है जो कि सबसे नुकसानदायक है। इसके लिए कमर की एक्सरसाइज करें। बच्चा और बूढ़ा एक समान की तरह ही बच्चा जिस प्रकार लेटकर लिक्विड लेता है, आप भी लेटकर कमर की एक्सरसाइज करें और खाने के बजाय अधिक से अधिक लिक्विड लें। पैरों को घुटनों से मोडक़र अश्वासन करें, कमर को ट्विस्ट करें। सेक से क्षणिक लाभ तो मिल जाएगा लेकिन उससे नुकसान बहुत होता है। हमारे शरीर में 60-70 प्रतिशत पानी है। यहां तक कि हड्डियों में भी 22 प्रतिशत तक पानी होता है। सर्दी में पानी हम कम पीते हैं तो सिस्टम गड़बड़ा जाता है। नींद नहीं आती है, डिप्रेशन होता है और पाचन तंत्र बिगड़ जाता है। पानी गर्म करके पीने के बजाय उस पानी को सूर्य की रोशनी में रखें और फिर वह पानी पीएं। गर्म करने से पानी के न्यूट्रीशंस चले जाते हैं जबकि सूर्य की रोशनी में रखे गए पानी में न्यूट्रीशंस बरकरार रहते हैं। डायबिटीज से बचने का सबसे बढिय़ा उपाय छाछ और नींबू पानी को बताया। उन्होंने कहा कि अगर पाचन तंत्र सही रहा तो डायबिटीज कभी छू भी नहीं सकेगी। बाद में उन्होंने वरिष्ठजनों के प्रश्नों के जवाब भी दिये। उन्होंने बताया कि अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में 3 से 5 फरवरी तक प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से उपचार पर शिविर लगाया जाएगा।
इसके बाद वरिष्ठजनों के लिए आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी हुई। इसका समय 10 मिनट का रखा गया था। आदर्श परिवार कैसा हो विषय पर वरिष्ठजनों से वार्ता रखी गई जिसमें मौखमसिंह कोठारी, छगनलाल बोहरा, कंचनदेवी सोनी, अर्जुनलाल डांगी, मिश्रीलाल जैन, मनोहरलाल इंटोदिया, पुष्पादेवी धाकड़ ने अपने विचार व्यक्त किए वहीं मनोरंजन सत्र में मौखमसिंह कोठारी, पुखराज कटारिया, पुष्पादेवी धाकड़ ने चुटकुले, देशभक्ति गीत प्रस्तुत किए।
सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि त्रिदिवसीय कार्यक्रम के तीसरे व अंतिम दिन 13 जनवरी को महाप्रज्ञ विहार में ही आध्यात्मिक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आचार्य श्री तुलसी जन्म शताब्दी वर्ष के तहत आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों की शृंखला में आज तीसरी कार्यशाला हुई। वरिष्ठजनों को आपस में मिलाने का सभा का यह एक प्रयास है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठजन अपने अनुभवों से युवाओं को लाभान्वित करें और मार्गदर्शन दें।
आरंभ में मंगलाचरण अम्बालाल चपलोत ने किया। शताब्दी गीत शशि चह्वाण, मंजू फत्तावत एवं सीमा कच्छारा ने प्रस्तुत किया। प्रेक्षाध्यान के दूसरा चरण अंतर्यात्रा के तहत संगीता पोरवाल ने सभी वरिष्ठजनों को विभिन्न प्रयोग करवाए। स्वागत भाषण में उपाध्यक्ष छगनलाल बोहरा ने कहा कि ऐसी कार्यशालाएं ऊर्जा का केन्द्र बनें और वरिष्ठजन जीवन में उत्साहपूर्वक कार्य कर सकें। इसी उद्देश्य से ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान दीपक सिंघवी, विनोद मांडोत, मनोहर बापना, सुबोध दुग्गड़ आदि भी उपस्थित थे। धन्यवाद फतहलाल जैन ने दिया।