”धरोहर : राजस्थानी संस्कृति की विरासत’’ सत्र का आयोजन
उदयपुर। महाराजा या युवराज़ जैसी उपाधियों का प्रयोग सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है, लेकिन लोग आज भी अक्सर इनका प्रयोग करते हैं। वहीं विरासत का निर्माण हमने नहीं किया है, यह हमारे पूर्वजों की है और अब इसे भविष्य की पीढिय़ों की ओर हस्तान्तरित करना है। जरूरत है इसकी मौलिकता बनी रहे।
कुछ ऐसे ही विचार उभरे जयपुर साहित्य उत्साव के दौरान जब धरोहर : राजस्थाहनी संस्कृीति की विरासत विषयक सत्र का आयोजन किया गया। साहित्यअकार संदीप भूटोरिया ने कहा कि संस्कृति, समाज़, और परंपरा हमारी धरोहर है। विरासत की रक्षा करने और इसे स्थायी बनाने के लिए एक परिवर्तन की आवश्यकता है। युवाओं को परंपरा की ओर उन्मुख करने के लिए इसे आधुनिक विन्यास में प्रस्तुत किए जाने की आवश्यकता है, ताकि वे इसे समझ सकें और इसे अपना सकें, लेकिन साथ ही उनके मूल रूप को भी बनाए रखने की जरुरत है। यह भी सोचना है कि हमारी परंपरा या संस्कृति में क्या सही है और क्या गैरसंबद्घ या गलत है।
वहीं सोडा गांव की युवा सरपंच छवि राजावत ने कहा कि विश्वभर के लोग भारतीय संस्कृति को पसंद करते हैं और इसे सम्मान देते हैं, लेकिन आज हमने कहीं इसकी मौलिकता को खो दिया है। हमें इसके मूल तक जाने की आवश्यकता है जो आध्यात्मिकता है। हमारी धरोहर में हमें हर बार यह सीखने को मिलता है, लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए कि विरासत स्थायी नहीं होती है, यह निरंतर विकसित होती रहती है। लोकसंगीत के समर्थक केसी मालू ने कहा कि विरासत वह है, जो हमें अपनी परंपरा से मिलती है और इसे दृश्य और अदृश्य रूप में बांटा जा सकता है। स्मारक और किले आदि हमारी विरासत के दृश्य रूप हैं और दूसरी तरफ संस्कृति, धरोहर और परंपरा आदि हमारी विरासत के अदृश्य रूप हैं। विरासत के इस अदृश्य रूप की उचित देखभाल की आवश्यकता है। सभी को पता है, कि परिवर्तन अपरिहार्य है। हमें वक्त के अनुसार चीज़ों को बदलना होगा।
उन्होंने अपनी कंपनी के द्वारा राजस्थानी लोकसंगीत की सफलता के उदाहरण का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, कि लोग कहते हैं कि युवा राजस्थानी लोक संगीत नहीं सुनते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि हम इसे बेहतर रूप में पेश नहीं करते हैं। हमने उसी लोक संगीत को विश्वस्तर की तकनीक के साथ आधुनिक समय के अनुसार पेश किया और आगे की कहानी सब जानते हैं। प्रतिष्ठित लेखिका डॉ. रीमा हूज़ा ने भी अपने दृष्टिकोण का वर्णन किया।