जेन्डर मेनस्ट्रीम थ्रू वूमन इम्पावरमेन्ट का समापन
उदयपुर। महिला शिक्षा से ही महिला सशक्तीाकरण संभव है। समाज में स्त्री-पुरूष एक-दूसरे की पूरकता का परिचय देंगे तो ही समाज में पीढ़ियों से व्याप्त स्त्री-पुरुष की असमानता का अंत हो पाएगा तथा सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन सम्भव होगा।
ये विचार कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने यूजीसी द्वारा प्रायोजित तथा महिला अध्ययन विभाग जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीजय संगोष्ठी ‘जेन्डर मेनस्ट्रमिगं थू्र वूमन इम्पावरमेन्ट‘ के समापन सत्र में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि महिला को सशक्त कर मुख्य धारा में लाना है तो पीढी़ दर पीढी़ हस्तान्तरित होती आ रही पारम्परिक पुरातन सोच को बदलनी होगी। आज आवश्यिकता है कि महिला तथा पुरुष दोनों के अधिकारों को प्राथमिक स्तर की शिक्षा से ही शुरू करना होगा। महिला शिक्षा से ही महिला सशक्तिकरण संभव है।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता उदयपुर स्कूल ऑफ सोशल वर्क के प्राचार्य प्रो. आर. बी. एस. वर्मा महिला-पुरुष दोनों के ही अधिकारों में सामांजस्यता तथा समरसता रखते हुए ही मुख्यधारा में लाया जा सकता है, न कि स्त्री तथा पुरूष एक-दूसरे का प्रतिस्पर्धी बनाकर। संगोष्ठी की निदेशक डॉ. मंजू माण्डोत ने संगोष्ठी के उद्देश्योंर पर प्रकाश डालते हुए बताया कि संगोष्ठी जेन्डर की अवधारणा को स्पष्ट करना, महिलाओं की समस्या तथा वर्तमान स्थिति पर चर्चा करना, महिलाओं को विकास की मुख्यधारा में लाने हेतु किये जाने वाले प्रयासों तथा समाधानों व विकल्पों की खोज करना था।
संगोष्ठी के आयोजन सचिव डॉ. सुनील चौधरी ने यूजीसी द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय संगोष्ठी की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि संगोष्ठी में गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों से पधारे हुए प्रतिनिधियों ने भागीदारी की संगोष्ठी में 43 पत्रों का वाचन किया गया। समापन समारोह में डॉ. मनीष श्रीमाली निदेशक , डिपार्टमेन्ट ऑफ कम्प्यूटर साइन्स एण्ड आई टी, केन्द्रिय श्रमिक शिक्षा बोर्ड के डॉ. सुधीर वाडेवा, डॉ. श्यारम कुमावत, विनोद कुमार गर्ग ने विचार व्यक्त किए। महिला अध्ययन विभाग के देवीलाल गर्ग ने धन्यवाद दिया।