सीटीएई में कृषि अभियान्त्रिकी के 48वें राष्ट्रीय अधिवेशन का समापन
उदयपुर। विभिन्न जुताई पद्धतियां, फसल उपज का बेहतर प्रंबधन एवं प्रक्रम, फसल अवशेषों के निस्तारण एवं रोपण पद्वतियां एवं कृषि की विभिन्न प्रक्रियाओं में न्यूनतम ऊर्जा खपत को ध्यान में रखते हुऐ कृषि अभियन्ताओं को ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में सहभागिता बढ़ानी चाहिये।
ये तथ्ये सीटीएई सभागार में भारतीय कृषि अभियन्ता परिषद् के 48 वें राष्ट्रीय अधिवेशन व संरक्षित कृषि में अभियान्त्रिकी सहभागिता पर तीन दिवसीय संगोष्ठी के समापन समारोह में उभरकर आए। अधिवेशन में अमरीका, कनाडा, जापान, आस्ट्रेलिया आदि देशों के अभियान्त्रिकी विशेषज्ञों ने शिरकत की तथा भविष्य की कार्य योजनाएं बनाने के लिए चर्चाओं में अपने अनुभव साझा किए।
समापन समारोह में मुख्य अतिथि ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री गुलाबचन्द कटारिया ने ग्रामीण भारत के सशक्तिकरण एवं विकास में कृषि अभियन्ताओं को सक्रिय योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने सदन को मार्गदर्शन देते हुए पंचायती राज्य के माध्यम से ग्रामीण विकास व कृषि में अनोखी पहल करने का भी उल्लेख किया। ग्राम विकास के लिए गांवों का सशक्तिकरण कर उन्हें आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र के रुप में विकसित करने की आवश्य कता पर बल दिया।
अध्यक्षता करते हुए एमपीयूएटी के कुलपति प्रो. ओ. पी. गिल ने कहा कि विभिन्न कृषि क्रियाओं में ऊर्जा खपत को कम करके जल एवं पोषक तत्वों को संरक्षित करना एवं प्राकृतिक स्त्रोतों एवं पर्यावरण की रक्षा करना वर्तमान में एक बड़ी चुनौती है।
भारतीय कृषि अभियन्ता परिषद् नई दिल्ली के अध्यक्ष डा. वी. एम. मियान्दे ने संरक्षित कृषि में अभियन्ताओं की सहभागिता पर विशेष आग्रह करते हुए कहा कि भारतीय कृषि में विषमताओं को देखते हुए कृषि अभियन्ताओं के सामने बड़ी चुनौतियाँ है। देष के लघु एवम् मध्यम जोत वाले किसानों तक तकनीकी हस्तान्तरण के साथ ही सामाजिक, अभियान्त्रिकी एवं तकनीकी सिफारिशों को सही प्रकार से लागू करने की आवष्यकता है।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में प्रौद्यागिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता एवं संगोष्ठी के संयोजक डा. बी.पी. नन्दवाना ने सभी आगुन्तकों का स्वागत किया। आयोजन सहसचिव डा. अभय मेहता ने धन्यवाद दिया एवं संचालन डा. दीपक शर्मा, प्राध्यापक एवं अध्यक्ष, नवीनीकरण ऊर्जा अभियान्त्रिकी विभाग ने किया। इस अवसर पर अमेरिका के डॉ. ललित वर्मा, डॉ. धरमेन्द्र सारस्वत, डॉ. रमेश एस. तंवर, आस्ट्रेलिया के डॉ. बसन्त महेश्वणरी, जापान के किशिड़ा, कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड, नई दिल्ली के सदस्य डॉ. वी. एन. शारदा, डॉ. नवाब अली, पूर्व उप महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद डॉ. के. के. सिंह सहायक महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, पंतनगर (उत्तराखण्ड) के राष्ट्रीय प्रोफेसर डॉ. टी. सी. ठाकुर एवं आईआईटी खड़गपुर के डॉ. वी. के. तिवारी भी उपस्थित थे।