गणेश मुनि ‘साहित्य दिवाकर’ सम्मान से सम्मानित
udaipur. श्री अमर जैन साहित्य संस्थान द्वारा हिरण मगरी सेक्टर 11 स्थित आलोक संस्थान के श्रीराम वाटिका में आयोजित श्री गणेश गुरू ज्ञान गंगा महोत्सव में आज साधु-साध्वियों,हजारों श्रावकों,शहर के गणमान्य नागरिकों एंव जैन समाज की अनेक संस्थाओं के प्रतिनिधयों की उपस्थिति में जहां राष्ट्रसंत गणेश मुनि शास्त्री द्वारा रचित 12 साहित्यों व भक्तामर स्त्रोत पर तैयार की गई एनिमेशन फिल्म सीडी का लोकार्पण किया गया, वहीं समाज एंव साहित्य जगत को साढ़े तीन सौ साहित्यिक पुस्तकों से लाभान्वित करने पर गणेश मुनि को हर्ष-हर्ष,जय-जय के गगनभेदी नारों के बीच ‘साहित्य दिवाकर’ अलंकरण से सम्मानित किया गया। साहित्य जगत में उनकी उपलब्धियों के कारण साधु एंव साध्वी मंडल ने भी उन्हें को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। समारोह की अध्यक्षता लाला प्रकाशचन्द्र जैन ने की। विशिष्टन अतिथि रजनी डांगी ने कहा कि हम ईश्वर से यही प्रार्थना करते हुए कि गणेश मुनि की प्रारम्भ यह ज्ञान रूपी गंगा निरन्तर बहती रहे।
साहित्य संग्रह का विमोचन : समारोह में 12 नवीन साहित्यों श्रावकों के 12 व्रतों पर आधारित ‘आओं जैन श्रावक बनें’ का लाला प्रकाशंचद्र जैन ने, 1800 मुक्तकों पर आधारित ‘समय के शिलालेख’ का राजीव कुमार जैन, ‘संकल्प के सारथी’ का मांगीलाल विनायकिया, ‘महके मन का आंगन’ का कन्हैयालाल मोदी, ‘संबोधि’, ‘सुबह के भूले’ का कालूलाल जैन, ‘सागर और तूफान’ का भगवतीलाल सुराणा, ‘ प्रीत की परिणति’ महावीर बोल्या, ‘चरित्र का चमत्कार’ थावरचंद ठाकुरगोता, ‘फिर खिला बसन्त’ का किरणमल सावनसुखा, ‘पुनर्जन्म की अनुभूति’का चुन्नीलाल गांधी ने तथा भक्तामर स्त्रोत पर तैयार की गई एनिमेशन फिल्म सीडी का मांगीलाल लुणावत ने विमोचन कर इस समारोह को यादगार बना दिया।
‘साहित्य दिवाकर’ सम्मान : शहर के अनेक समाज के प्रतिनिधियों, प्रतिष्ठित संस्थाओं, गणमान्य नागरिकों, समाज सेवियों लाला प्रकाशचंद्र जैन, सभापति रजनी डांगी, जिला प्रमुख मधु मेहता, किरणमल सावनसुखा, उद्योगपति कालूलाल जैन, निर्मल पोखरना श्यामलाल झगड़ावत मांगीलाल लुणावत ने राष्ट्रसंत गणेश मुनि शास्त्री को ‘साहित्य दिवाकर’ सम्मान से सम्मानित किया। उन्हें प्रदान किये गये सम्मान पत्र का वाचन श्री अमर जैन साहित्य संस्थान के अध्यक्ष भंवर सेठ ने किया। प्रवर्तक रमेश मुनि ने साध्वी मंडल की ओर से तथा सभी साधु वृन्दों ने गणेश मुनि को शॉल ओढ़ाकार सम्मानित किया।
जिनका हुआ बहुमान : लाला प्रकाशचन्द्र जैन,राजीव कुमार जैन, मांगीलाल लुणावत, डॅा. प्रदीप कुमावत,चेतन संगराजका, हरीश मेहता, सुरेन्द्र कोठारी, मांगीलाल विनायकिया, माणिक आर्य, राजेन्द्र सेन, राजेश मेहता, अंबालाल नवलखा, सुनील जैन, गिरीश मुमार खोड़पिया, शांतिलाल जैन, लुणकरणराज मेहता, राजेन्द्र कुमार ओरडिय़ा, जौहरीमल धारिवाल, रमेश बारोड़ा, गणेशलाल सिंघवी, कस्तुरचंद सिंघवी, हुक्मीचंद कोठारी, रोशनलाल कोठारी, सुरेश कुमार मोदी, हेमंत कोठारी, रोशनलाल झगड़ावत, चन्द्रप्रकाश झगड़ावत, गणपतराज मेहता, छगनलाल कोठारी, भैरूलाल भण्डारी,प्यारचंद कोठारी, भगवत सुराणा,रूपेन्द्र पगारिया, डॅा. खटका राजस्थानी,पं.लक्ष्मीनारायण गौड़ मनोज सर्राफ,फतहलाल नागौरी सहित अनेक अतिथियों एंव सहयोगियों को संस्थान की ओर से माल्यार्पण कर, पगड़ी पहनाकर,शॉल ओढ़ाकर तथा स्मृतिचिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में गणेश मुनि का छाया चित्र बनाने वाली बालिका सलोनी को भी सम्मानित किया गया।
रमेश मुनि ने कहा कि साहिय का क्षेत्र विराट है और इस विराट क्षेत्र में राष्ट्रसंत गणेश मुनि ने प्रवेश कर साहित्य जगत को अपनी रचनाओं से और महका दिया। राष्ट्रंसत कमल मुनि कमलेश ने कहा कि गणेश मुनि ने ऐसे साहित्य का निर्माण किया जो सैकड़ो वर्षो तक ज्ञान गंगा के रूप में जनता का मार्गदर्शन करता रहेगा। साध्वी चरित्र प्रभा, साध्वी सुशीला, साध्वी चरित्रप्रभा, चन्द्रेश मुनि तथा रितेश मुनि ने भी विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम में गणेश मुनि ने कहा कि गुरू बिना ज्ञान अधूरा है और आज 80 वर्ष की उम्र और 66 वर्ष के साधु जीवन में आत्म साधना से जो कुछ समाज को दे पाया, उसके पीछे गुरू का बहुत बड़ा योगदान रहा। साधना के जो मोती मिले उसे माला के रूप में पिरोने का प्रयास किया। इस अवसर पर उन्होनें उन सभी साधु-साध्वियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट की जो दूर-दराज क्षेत्रों से आकर महोत्सव की शोभा बढ़ायी।
चार को अमृत कलश : गुरू गणेश मुनि शास्त्री के साधना में सहयोगी बनने वाले चार विशेष सहयोगियों को चेतन संगराजका, रोशनलाल कोठारी, नाथूलाल कोठारी तथा उमेश बोल्या को गणेश मुनि म.सा. की ओर से लाला प्रकाशचन्द्र जैन ने अमृत कलश भेंट कर उन्हें सम्मानित किया। साध्वी चरित्र प्रभा की शिष्या बनने जा रही वैरागिनी जया की 29 अप्रेल को भूताला गांव में दीक्षा देने की गणेश मुनि ने घोषणा की।
प्रारम्भ में संस्थान अध्यक्ष भंवर सेठ ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि गणेश मुनि की प्रेरणा से ज्ञान गंगा की अमृत वर्षा करने के लिये इस महोत्सव का आयोजन किया गया। मंत्री श्यामलाल झगड़ावत ने आभार ज्ञापित किया।
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