विद्यापीठ के विभागाध्यक्षों की बैठक
उदयपुर। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वंविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि विद्यापीठ की स्थापना का उद्देश्ये समाज के सम्पूर्ण उत्थान हेतु पंडित नागर ने आवष्यकता के अनुसार मेवाड़ के सुदूर आदिवासी अंचलों में षिक्षा, स्वास्थ्य तथा साक्षरता के प्रचार प्रचार के साथ सम्पूर्ण सामुदायिक कार्यों को शुरू किया था।
उन्होंने बुधवार को विश्व्विद्यालय के समस्त विभागाध्यक्षों की बैठक प्रतापनगर स्थित विश्व विद्यालय सभागार में ली। उन्होंूने कहा कि ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों में 10 जनभारती केन्द्रों पर कम्प्यूटर ज्ञान, निशुल्क होम्योपैथिक चिकित्सा, ब्यूआटी पार्लर, घरेलू उपकरणों की मरम्मत, फसलों की बीमारी सम्बन्धीश जानकारी, घरेलू खा़द्य सामग्री, विधिक जानकारी दी जा रही है। साथ बैठक में उपस्थित सभी विभागाध्यक्षों को निर्देष दिया कि वे नेक के निरीक्षण के दौरान नेक की कमेटी को दी जाने वाली रिपोर्ट तथा विभाग में क्वालिटी अश्योररेंस एवं एक्सीलेंस पर ध्यान दें तथा वे रिसर्च व शोध कार्यो पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान केन्द्रित करें। हर विभाग के पास अपना रिसर्च बेस्ट होना जरूरी है। अध्यक्षता रजिस्ट्रार डॉ. देवेन्द्र जौहर ने की। इस अवसर पर डॉ. एम.एस. राणावत, डॉ. एल. एन. नन्दवाना, डॉ. ललित पाण्डेय, प्रो. बी. एल. फडिया, प्रो. जी. एम. मेहता, प्रो. वी.पी. शर्मा, डॉ. प्रकाष शर्मा, डॉ. मंजू मांडोत, डॉ. सुमन पामेचा, डॉ. अमिया गोस्वामी, डॉ. एन. एस. राव, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सनाढ्य, डॉ. शैलेन्द्र मेहता, डॉ. सी. पी. अग्रवाल, प्रो. एस. के. मिश्रा ने भी अपने सुझाव दिए।