उदयपुर। टाउनहॉल में सुबह साढ़े नौ बजे हजारों श्रावक उपस्थित थे। अवसर था राष्ट्रसंत चन्द्रानन सागर सूरिश्वर महाराज के सुनाए जाने वाले महामांगलिक आयोजन का। यह पहला अवसर था जब मेवाड़ की धरती पर आचार्य चन्द्रानन सागर ने हजारों श्रावकों को एक साथ एक घंटे तक महामांगलिक सुना कर उन्हें लाभान्वित किया। इससे पूर्व गत रात्रि नाकोड़ा भैरव भक्ति संध्या का भी आयोजन किया गया।
गुरुदेव ने प्ररेणा पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि मानव जीवन को सफल बनाना है तो प्रभु भक्ति करनी चाहिए। इष्टदेव के स्मरण से आदि व्याधि, ताप, संताप से छुटकारा मिलता है। कार्यक्रम संयोजक हस्तीमल लोढ़ा ने बताया कि सुरेखा लोढ़ा चेरिटेबल ट्रस्ट एवं प्रहलाद राय किशनलाल नवलखा द्वारा आचार्य चन्द्रानन सागर महाराज के सान्निध्य में आयोजित किए गये चार दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन आज टाउनहॉल में महामांगलिक का आयोजन किया गया। इसमें आचार्य चन्द्रानन ने अपने मुखारविन्द से महामांगलिक सुनाया जिसे हाथ जोडक़र शान्त एवं एकाग्रचित्त भाव से सुनने के पश्चात् श्रावकों ने गुरूदेव के जयकारे लगाए।
ट्रस्ट के यशवन्त कोठारी ने बताया कि नाकोडा भैरव की भक्ति संध्या के आयोजन में विशेष रूप से पहली बार मेवाड़ पधारें आचार्य ने कार्यक्रम के अंतिम दिन सभी श्रावकों के सिर पर वाक्षेप डालकर उन्हें रक्षापोटली बांध आशीर्वाद प्रदान किया। ट्रस्ट के राकेश पोरवाल ने बताया कि इस अवसर पर नाकोड़ा दर्शन धाम मुबंई के ट्रस्टियों ने कार्यक्रम के सफल आयोजन पर हस्तीमल लोढ़ा व प्रहलादराय नवलखा का आचार्य की उपस्थिति में सार्वजनिक अभिनंदन किया गया। प्रारम्भ में राष्ट्रीय कवि माधव दरक ने गुरुदेव के जीवन को समर्पित कविता पाठ किया। कार्यक्रम में साध्वी अर्हमवृताश्री, साध्वी कल्पिताश्री एवं साध्वी चारूताश्री भी उपस्थित थी। संचालन संगीतकार मेवाड़ रत्न, नरेन्द्र वाणी गोता ने किया।
भैरव दरबार में श्रद्धालुओं का सैलाब
उदयपुर। सुरेखा लोढ़ा चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आज टाऊनहॉल में एक शाम नाकोड़ा भैरव के नाम भजन संध्या आयोजित की गई। जिसमें उदयपुर ही नहीं वरन् मुंबई सहित आसपास के गांवों हजारों श्रद्धालु नाकोड़ा भैरव के भजनों का रसपान करने यहां पहुंचे। भक्तों के लिए बनाये गये विशेष भैरव दरबार में दादा के दर्शन करने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। भक्ति संध्या में मुंबई के प्रसिद्ध भजन गायक नरेन्द्र वाणी गोता द्वारा पन्द्रह सौ वर्गफीट का विशाल मंच से अपने 20 सदस्यीय दल के साथ एक के बाद एक दी गई सुरीले भजनों की प्रस्तुति पर भक्तगण अपने स्थान पर खड़े होकर नाचने लगे। पहली बार मेवाड़ पधारें राष्ट्रसंत आचार्य चन्द्रानन सागर सुरीश्वर महाराज की कार्यक्रम में उपस्थिति रही। आचार्यश्री के आशीर्वाद से भजन संध्या में चार चंाद लग गये।
आचार्य चन्द्रानन सागर ने कहा कि जीवन में मानसिकता बदलेगी तो सम्पूर्ण संसार सुन्दर व संवादमय बनेगा। भक्ति से ही जीवन में शक्ति व जीवन जीने की कला प्राप्त होती है। समारोह में साध्वी कल्पिताश्री, चारूताश्री ने भी प्रेरणा पाथेय प्रदान किया। बाल मुनि मनन सागर महाराज, आशिताश्री व रिशिताश्री ने भैरव स्तुति की। ट्रस्ट के अध्यक्ष हस्तीमल लोढ़ा ने बताया कि इससे पूर्व आचार्य चन्द्रानन सागर के सान्निध्य में नाकोड़ा पार्श्वेनाथ भगवान व नाकोड़ा भैरव की श्रृंगारित प्रतिमा सांय 5 बजे थोब की बाड़ी मन्दिर से टाऊनहॉल स्थित भैरव दरबार में सैकड़ो भक्तों की उपस्थिति के बीच बाजे-गाजे के साथ लाई गई। उन्होंने बताया कि इस भजन संध्या में मुंबई के प्रसिद्ध भजन गायक नरेन्द्र वाणी गोता 20 सदस्यीय दल के साथ सुरीले स्वर में दादा के भजनों की प्रस्तुति दी। ट्रस्ट सचिव यशवन्त कोठारी ने बताया कि बाहर से श्रावक एंव हजारों की संख्या में श्रोता इस भक्ति संध्या का आनन्द लेंगें। इससे पूर्व कल संाय मेहन्दी की रस्म हुई जिसमें सभी भैरव भक्त महिला-पुरुषों ने नाकोड़ा भैरव के प्रसाद के रूप में अपने हाथों में मेहंदी रचाई।