किसी और की जमीन पर किया कब्जा
उदयपुर। सरकार अपनी हो तो कैसे फायदा लिया जाता है, इसका एक सजग उदाहरण सामने आया है उदयपुर ग्रामीण की पूर्व विधायक सज्जैन कटारा का। हालांकि यूं तो लोकसभा चुनाव में सांसद प्रत्यारशी की खिलाफत करने को लेकर कटारा एवं उनके पुत्र की चर्चाएं आम हैं लेकिन किसी और की जमीन का पट्टा उठा लेने का एक और मामला सामने आया है। मामले का खुलासा होने पर यूआईटी ने पट्टा निरस्त करने का नोटिस दिया है। साथ ही 25 मई तक जवाब मांगा है। उधर जमीन मालिक ने किसी अन्य को जमीन बेच दी है।
जानकारी के अनुसार ग्रामीण विधायक के आवास क्षेत्र का आराजी संख्या 184 से 189 तथा 194, 195 है। इसका कुल क्षेत्रफल करीब 53 हजार वर्गफीट है। इसका विक्रय इकरार के आधार पर 1999 से खरीदकर यूआईटी में 2010 में कटारा, अपने पुत्र विवेक, रंजक, मयंक के नाम से पट्टा आवेदन किया। इस पर मई 2010 में कटारा को पट्टा जारी किया गया। कटारा ने इसे विक्रय इकरार के माध्यम से खरीदना बताया। जमीन कचरा मेघवंशी की थी जिसका क्षेत्रफल करीब 5 हजार वर्गफीट है। कचरा की मौत के बाद उक्त जमीन उसकी संतानों के नाम पर हो गई। आरोप है कि कटारा ने यूआईटी को गलत जानकारी देकर जमीन को भी अपनी बताते हुए पट्टा उठा लिया जबकि इसकी 90-बी भी नहीं हुई। कचरा की संतानों के नाम पर दर्ज जमीन कुछ समय पूर्व फरवरी 2010 में अन्य को बेच दिया गया। अब जानकारी सामने आने पर यूआईटी अधिकारियों में हड़कम्प मचा हुआ है। उन्होंने आंकलन करवा जमीन को लेकर कटारा एवं उनके पुत्रों को नोटिस दिया है।