उदयपुर। तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण की विदुषी साध्वी कनकश्रीजी ने कहा कि आत्मा की तीन अवस्थाएं होती है। बहि आत्मा, अंतरात्मा व परमात्मा। जो व्यक्ति कषाय, अज्ञान व मोह के घेरे में जीता है, उसे आत्मा की झलक नहीं मिलती है। आत्मा की अनुभूति के लिए सतत़ जागरूकता की अवश्यकता होती है।
वे आज अपनी सहवर्ती साध्वियों के साथ विहार कर हिरणमरी से 4 स्थित तुलसी निकेतन रेजीडेन्शियल स्कूल में आयोजित धर्मसभा को यात्रा बाहर से भीतर की ओर विषय पर व्याख्यान देते हुए संबोधित कर रही थी। इस अवसर पर साध्वी मधुलेखा ने भी विषय प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में साध्वी मधुलता, साध्वी वीणाकुमारी व समिति प्रज्ञा ने ’करें आराधाना हम, सत्य की साधना’ नामक सुन्दर गीतिका प्रस्तुत की।
प्रारम्भ में स्कूल के चेयरमैन डॉ. यशवन्त कोठारी ने साध्वीश्री व पधारें अतिथियों का स्वागत किया एंव संस्था में प्रेक्षाध्यागन व जीवन विज्ञान संबंधी चल रहे प्रशिक्षण संबंधी जानकारी दी। तेरापंथ मण्डल महिला की अध्यक्षा कंचन सोनी ने क्षेत्रवासियों से साध्वी समुदाय का अधिकाधिक लाभ लेने की अपील की। हिरणमगरी से. 3 से 6 तक के बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया।