उदयपुर। डॉ. बाशोबी भटनागर ने कहा कि इस भागमभाग की जिन्दगी में मनुष्य अति महत्वाकांक्षी हो गया है और उस महत्वाकांक्षा को पूर्ण करने के लिए वह तनावग्रस्त रहता है। कुछ समय पश्चात वही तनाव शरीर में बीमारी का रूप ले लेता है। अनेक चिकित्सा पद्धतियां रोगी की बीमारी को तो ठीक करती है लेकिन वह उसकी जड़ तक नहीं पहुंचती।
इस कारण रोगी के शरीर में विभिन्न प्रकार के रोग तो परिलक्षित होते है लेकिन रोगी ठीक नहीं हो पाता। होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति रोगी को समग्र रूप से स्वस्थ करती है। वे कल रोटरी क्लब उदय द्वारा एश्वर्या कॉलेज में आयोजित बैठक में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रही थी। उन्होंने बताया कि अब भी जनता के मन में भ्रान्ति है कि होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति धीरे-धीरे असर करती है। वर्तामन में उनकी यह धारणा निराधार बन चुकी है। उन्होनें बताया कि रोगी अनेक बार दर्द लेकर लेकर आता है और उसे यही समय पर सही दवा की खुराक देने पर उसे तात्र पंाच से दस मिनिट में आराम मिलना शुरू हो जाता है। पुरानी बीमारियों कैंसर, सभी प्रकार के चर्म रोग, अस्थमा, मधुमेह, स्टर्लिटी, इम्पोटेन्सी, केलकुली, आर्थराईटिस, बेकपेन, स्लिपडिस्क, माइग्रेन को ठीक होने में जरूर अधिक समय लगता है लेकिन अन्य पद्धतियों में जिन्होनें इन बीमारियों के इलाज को नकार दिया है। होम्योपैथी दवा में वृक्ष, फल, फूल, जड़, विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थों, रसायन, विभिन्न प्रकार के विष, पशु व मनुष्य के दूध को भी अणु के उच्चतम स्तर पर ले जाकर उससे होम्योपैथी दवा बनाकर उससे हर उस असंभव बीमारी को भी ठीक होते है।
डॉ. भटनागर ने बताया कि रोगी का इलाज करने से पूर्व उसकी मन:स्थिति का पता लगाकर उसके व्यक्तित्व को देखकर रोगी द्वारा दी जाने वाली प्रतिक्रिया के देख कर उसकी दवा निश्चित की जाती है। उन्होनें बताया कि मन में सोच से जो व्याधि पनपी है, वह सोच शरीर के स्नायु तंत्र को अस्वस्थ कर देती है। होम्योपैथी चिकित्सा से उसी तंत्र को ठीक किया जाता है।
इस अवसर पर साहिल जुरानी ने बताया कि 15 दिन पूर्व उन्हें लीवर में एब्सिस बीमारी हुई थी जिसे ठीक करने के लिए एलोपैथी चिकित्सक ने एक माह की अवधि तय की थी लेकिन होम्यौपैथी चिकित्सा ने इस बीमारी को मात्र 3 दिन बाद की मेरे लीवर का एब्सिस ठीक हो गयी और 7 दिन में यह बीमारी शरीर से ही घायब हो गई। क्लब अध्यक्ष शालिनी भटनागर ने बताया कि होम्योपैथी चिकित्सा अन्य प्रकार की चिकित्सा से कहीं अधिक आगे निकलती जा रही है। इस चिकित्सा पर रोगियों का विश्वास बढ़ता जा रहा है। इस चिकित्सा ने अनेक असाध्य बीमारियों का इलाज कर रोगियों को ठीक किया है। इस चिकित्सा पद्धति में अनेक प्रकार की परेशानियों से बच जाता है। इन दवाओं के साईड इफेक्ट नहीं होते है। इस अवसर पर अनेक क्लब सदस्य उपस्थित थे।