उदयपुर। शहर के जगदीश चौक क्षेत्र की महिलाएं तब उबल पड़ीं जब उन्हें गणगौर घाट पर नहाने से रोका गया। कोई कोर्ट या प्रशासन नहाने, कपडे़ धोने से उन्हें नहीं रोक सकता। कुछ यही बातें कहते हुए ये महिलाएं पहले घंटाघर थाने पहुंची और फिर कलक्ट्रेट भी पहुंची।
महिलाओं ने जिला कलक्टर को दिए ज्ञापन में बताया कि सारे घाट नहाने-धोने के लिए ही बने हुए हैं। उन्होंकने तो नहाने-कपड़े धोने को बाकायदा कानून सम्मंत अधिकार बताया। साथ ही लेक पेट्रोल के जाब्ते पर भी अभद्र व्यंवहार करने तथा मारपीट का आरोप भी लगाया। जाब्ते में शामिल एक महिला होमगार्ड के खिलाफ घंटाघर थाने में मामला भी दर्ज कराया गया। महिलाओं ने चेतावनी दी कि आगे से ऐसी घटना फिर हुई तो आंदोलन किया जाएगा।
इन झीलों पर नहाने धोने की व्यवस्था इन्हे बनाते वक़्त ही की गयी थी, ऐसा पुरे देश में होता है . अगर रोकना है तो झील किनारे बनी होटलों को रोकना चाहिए , जो झीलों में गन्दगी घोल रहे है , इस कार्य में असमर्थ प्रशासन दिखावे के लिए नहाना धोना बंद करवाकर शायद इसी को बहुत बड़ा कदम मान बैठा है ,वाह प्रशासन और वाह झील सरंक्षण समिति ?
घाट बनाये क्यों ? नहाने धोने के लिए । धोबियोे के लिए अलग जगह थी । प्राचीन काल से चल रहा नियम । हरिद्वार का पानी गंदा हो रहा है तो वहाँ नहाना बन्द करवा देना चाहिए । नहाने के लिए पाबन्दी सरकारी दादागीरी है । वास्तविक प्रदूषण तो नालियों बह कर आ रहा है । इसे पहले रोकें ।