उदयपुर। देश के प्रधानमंत्री विकास को जन आंदोलन बनाना चाहते है। सरकार विकास की प्रक्रिया में प्रत्येक स्तर पर जन सहभागिता सुनिश्चित करना चाहती है वहीं उदयपुर में झील संरक्षण योजना के क्रियान्वयन में आम जनता को दूर रखा जा रहा है। यह दुर्भाग्य पूर्ण व सरकार की सोच के विपरीत है।
कुछ ऐसे ही तथ्य झील संरक्षण समिति, चांदपोल नागरिक समिति एवं डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के साझे में आयोजित रविवारीय श्रमदान के बाद हुए संवाद में उभर कर आये। झील संरक्षण समिति के सचिव अनिल मेहता ने कहा कि झील संरक्षण योजना के निर्माण एवं मंजूरी में झील संरक्षण समिति एवं अन्य प्रबुद्ध नागरिको की मेहनत है। करोड़ों रुपए की स्वीकृति के बाद क्रियान्वयन स्तर पर स्वैच्छिक संस्थाओं व परियोजना में प्रारम्भ से जुड़े नागरिकों को दूर रखना प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
डॉ. मोहन सिंह मेहता ट्रस्ट के सचिव नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि झील संरक्षण योजना का उद्देश्य केवल सौंदर्यीकरण तक सिमट गया है जबकि पिछोला सड़ रहा है एवं फतेहसागर जीवित झील के बजाये कृत्रिम टैंक बनता जा रहा है। उदयसागर और आयड की संरक्षण की योजनाएं कागजों में सिमटी है। जरुरत झीलों की नैसर्गिकता लौटाना और जल की गुणवत्ता बढ़ाना होना चाहिए। चांदपोल नागरिक समिति के तेजशंकर पालीवाल ने भी विचार व्याक्तग किए।
रविवारीय श्रमदान के अंतर्गत पिछोला के चांदपोल क्षेत्र से पोलिथिन, जलीय घास, हवन पूजन सामग्री, कपडे, रेगज़िन बैग्स, खाद्य अखाद्य सामग्री सहित शराब की बोतलें निकली गयी। श्रमदान में तेजशंकर पालीवाल, नन्दकिशोर शर्मा, मोहनसिंह चौहान, रमेशचन्द्र राजपूत, दुर्गा शंकर पुरोहित, महेंद्र सोनी, अम्बालाल नकवाल, कैलाश कुमावत, कुलदीपक पालीवाल, भंवर भारती, ओमप्रकाश भाटी सहित कई नागरिकों ने भाग लिया।