उदयपुर। श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि हम समता कि बात तो बहुत करते हैं लेकिन हकीकत में हमारे भीतर भेदभाव के भंड़ार भरे पड़े है। मात्र अपना स्वार्थ ही सर्वोपरि रखकर हम अपनों से भी भेदभाव करते नहीं चूकते है, परिवार इसी लिये तो बिखर रहे है।
वे आज पंचायती नोहरे में स्थित धर्मसभागार में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि समत्व का अर्थ इतना ही नहीं कि हम कुछ समय समता भाव में एक स्थान पर बैठ जाए। समत्व का अर्थ बहुत व्यापक है। यह शब्द जितना अध्यात्म के क्षेत्र में महत्व रखता है,उससे कहीं अधिक व्यावहारिक क्षेत्र में अधिक उपयोगी हैं। वर्तमान में चारों ओर भेदभाव और फिरका परस्ती फैली हुई है। ऐसे में व्यवहार में समत्व कि स्थापना करना, किसी महान परमार्थिकता से कम नहीं है। उन्होनें बताया कि भेदभाव और विषमता इस कदर हावी हो गई है कि एक ही परिवार में आपस में गंभीर भेदभाव फैला हुआ है। एक घर में रहते हुए भी मानो कोसों दूर-दूर रह रहे है।
स्वयं को जानना-देखना ही मोक्ष मार्ग है : उदय मुनि
उदयपुर। प्रज्ञामहर्षि उदय मुनि ने वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान में कहा कि ज्ञान दर्शन आत्मा का गुण है परन्तु वह स्वयं को तो जाने नहीं और परायों को अपना जाने-माने। वह अज्ञान और मिथ्यात्व है। उन्हीं के बल से मिथ्या मोएहादि करके अनन्त कर्म बंधकर अनन्त जन्म मरण का अनन्त दुख पाता है। यह चतुर्गतिरूप संसार मार्ग है। स्वयं के ज्ञान गुण से स्वयं को जाने, पर को भी जाने, पर पराया जाने तो वह ज्ञान है।