उदयपुर। श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि मर्यादा को भूलकर हम अमर्यादित होते जा रहे है जबकि यह सभी जानते हैं कि मर्यादा के बिना समाज परिवार टिक नही पाते।
वे आज पंचायती नोहरा स्थित धर्म सभागार में सुखी जीवन कैसे जीएं विषय पर विशाल धर्मसभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होनें कहा कि मानव का चरित्र मर्यादा पर ही आधारित होता हैं। नागरिक या पारिवारिक जीवन में जहा भी विडम्बना आती है उसके मूल में मूल में अमर्यादा ही होती हैं। उन्होनें कहा पारिवारिक जीवन आज खंडि़त हो रहा हैं। पारस्परिक आत्मीयता के भाव समाप्त हो रहे हैं। व्यक्ति एकाकी और निपट स्वार्थी बनता जा रहा है। यह सभी अमर्यादित आचरण से हो रहा है। प्रवर्तक मदन मुनि ने अहंकार त्यागने का संदेश दिया। कोमल मुनि ने काव्य पाठ किया। विकसित मुनि के मंगल उद्बोधन के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। संभव मुनि ने गीतिका प्रस्तुत की संचालन संघ मंत्री हिम्मत बड़ाला ने किया। अम्बालाल नवलखा ने श्रावक संघ की प्रवृतियों पर प्रकाश डाला।
आत्मा असंग : शरीर, परिवार, धन-वैभव संयोगी : उदय मुनि
प्रज्ञा महर्षि उदय मुनि ने वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान, हिरणमगरी, सेक्टर-4 में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आत्मा ज्ञान दर्शन गुणधारक है। शाश्वत है। स्वयं को जानने, देखने का इसका स्वभाव है। इसके अतिरिक्त समस्त शुभ-अशुभ भाव, राग-द्वेष, मोहादि भाव पर भाव विभाव भाव है। कर्म के निमित्तआ आए अनुकूल प्रतिकूल व्यक्ति वस्तु स्थिति परिस्थिति के कारण होते है। उन्हीं विकार भावों से कर्मों का भयंकर बंध और चतुर्गति भ्रमण का दुख होता है। अंतरभावों में पक्की अवधारणा करो कि शरीर, शरीर के साथ जुडे़ परिजन उनके लिए जोडा़ धन, वैभव, भोग साधन आदि में नहीं, मेरे नहीं हैं। सभी संयोगी है, न जाने किस क्षण आयुष्यकाल पूरा हो जाता है और सभी का वियोग हो जाता है फिर इन क्षणभंगुर को अपना जान मान कर, ममत्व करके क्यों कर्मों का पहाड़ लगा रहे हैं?