वार्डों की लॉटरी के बाद फिर सक्रिय
उदयपुर। नगर निगम की मेयर की कुर्सी पर इस बार घमासान पक्का दिखाई पड़ रहा है। निगम के पिछले चार बोर्ड पर भाजपा का कब्जा रहा है, जो इस बार आसानी से नहीं होगा, क्योंकि मेयर पद के दावेदारों के अधिकतर वार्ड पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित हो गए हैं।
अब तक शहर विधायक गुलाबचंद कटारिया गुट के लोग ही मेयर पद पर आसीन होते आए हैं, लेकिन इस बार भाजपा में कटारिया विरोधी कमल मित्र मंडल वापस मुखर हो गया है जिस पर वसुंधरा का वरदहस्तब बताते हैं। सुखाडिय़ा यूनिवरसिटी में पिछले चार अध्यक्ष बनाने वाली छात्र संघर्ष समिति (सीएसएस) ने भी 18 वार्डों पर प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर मुश्किलें और भी बढ़ा दी है।
सक्रिय हुआ कमल मित्र मंडल
इस लॉटरी प्रक्रिया से ठंडे बस्ते में पड़ा भाजपा का कमल मित्र मंडल फिर से एकजुट हो गया है। विधानसभा चुनाव में कटारिया की विजय के बाद उनके साथ हुए राजकुमार चित्तौड़ा, बलवीरसिंह दिग्पाल, सुषमा कुमावत, राजेश वैष्णव, विजय आहूजा आदि को कमल मित्र मंडल ने अपने से अलग कर दिया है। फिलहाल इस मंडल में भानुकुमार शास्त्री, धर्मनारायण जोशी, मांगीलाल जोशी, रणधीरसिंह भींडर, धरियावद विधायक गौतमलाल मीणा, महेंद्रसिंह शेखावत, मनोहरसिंह पंवार, अर्चना शर्मा, भाजयुमो के पूर्व जिलाध्यक्ष जगदीश शर्मा आदि दिग्गज शामिल हैं, जो एकजुट होकर मुख्य सेवक वसुंधरा के समक्ष अपनी दावेदारी रखते हुए निगम चुनाव में अपनी महत्ता साबित करने का मौका मांग सकते हैं। हालांकि अधिकृत रूप से इन सभी का यही मानना है कि जो पार्टी का निर्णय होगा, वही सर्वोपरि है।
वार्ड आरक्षण की लॉटरी ने भाजपा में मेयर पद के दावेदारों की मुश्किलें बढ़ा दी है। गुलाबचंद कटारिया के करीबी प्रमोद सामर, पारस सिंघवी, प्रेमसिंह शक्तावत, दिनेश भट्ट और रोशनलाल जैन के वार्ड पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित हो गए हैं। अगर अब भाजपा अपने 2009 के फार्मूले से चलती है, तो ये नेता न तो पार्षद और ना ही मेयर बन पाएंगे।
फार्मूला अपनाया तो होगा संघर्ष
2009 में वार्ड आरक्षण के बाद जब कई दावेदारों के वार्ड दूसरे वर्ग के लिए आरक्षित हो गए, तो उन्होंने चुनाव में वार्ड बदलने की कवायद शुरू कर दी थी। इससे पार्टी में संघर्ष की स्थिति बन गई थी। तब भाजपा ने तय किया था कि दावेदार अपने ही क्षेत्र से चुनाव लड़ सकेंगे। इस कारण मांगीलाल जोशी भी चुनाव नहीं लड़ पाए थे। अब मांगीलाल जोशी का वार्ड सामान्य है। साथ ही कमल मित्र मंडल के अनिल सिंघल का वार्ड भी सामान्य है, जिन्होंने पिछले दो चुनावों में वार्ड आरक्षण के कारण सब्र रखा थी, ये नेता अपने वार्डों में अंगद की तरह पैर जमाए हुए है। दूसरी तरफ अनिल सिंघल के वार्ड 41 से पारस सिंघवी भी मैदान में उतरने की तैयारी कर रह हैं, जो 2009 के पार्टी फार्मूले के खिलाफ है।
सीएसएस बनेगा बड़ा रोडा
छात्र संघर्ष समिति (सीएसएस) का पिछले चार चुनावों से सुखाडिय़ा यूनिवरसिटी के छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर कब्जा है। सीएसएस के मुख्य संयोजक सूर्य प्रकाश सुहालका ने घोषणा की है कि इस बार 18 वार्डों पर सीएसएस के युवा नेताओं को पार्षद पद के लिए उतारा जाएगा। उनका मानना है कि यूनिवरसिटी में अच्छे कार्यों की वजह से अधिकतर युवा सीएसएस के साथ है। इससे शहर में सीएसएस को भरपूर समर्थन मिलेगा। अगर सीएसएस को शहरवासियों का समर्थन मिलता है, तो भी भाजपा के लिए मेयर की कुर्सी तक पहुंच पाना आसान नहीं होगा।