उदयपुर। गोगुन्दा स्थित मगन ज्ञान मंदिर में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा द्वारा आयोजित समग्र सेरा प्रान्त का पारिवारिक दामत्य शिविर तपोमूर्ति मुनि पृथ्वीराज के सानिध्य में सम्पन्न हुआ।
मुख्य वक्ता विख्यात साहित्यकार डॉ. देव कोठारी ने कहा कि समर्पण, सद्भावना, सहिष्णुता, सहयोग, शालीनता, सक्रियता, संस्कार आदि से ही पारिवारिक दाम्पत्य जीवन सुखी एवं स्वर्ग के समान हो सकता है। आचार्य तुलसी द्वारा प्रदान जैन जीवन शैली अपनाने से पारिवारिक शांति सम्भव है।
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा उदयपुर के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने आव्हान किया कि संयुक्त परिवार के विघटन को बचाना होगा। परिवार का प्रत्येक सदस्य अपने दायित्व का समझे और स्वनुशासन से अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए परिवार को एक सूत्र में बांधे। अखिल भारतीय अणुव्रत महासमिति के कार्यसमिति सदस्य सुबोध दुग्गड़ ने पाश्चात्य संस्कृति की चकाचौंध ने परिवार पर पड़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त की। भारत को विश्व गुरू बनाने के लिए हमें अपनी संस्कृति को जीवंत रखना होगा।
तपोमूर्ति मुनि पृथ्वीराज ने भगवान महावीर ने बताये दो प्रकार के धर्म आगार धर्म और अणगार धर्म की विवेचना करते हुए श्रावक के बारह व्रतों का महत्व बताया, जब तक व्यक्ति सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र को अपने जीवन में नहीं लाता है तब तक सुखी जीवन असम्भव है। आदर्श परिवार बनाने के लिए लक्ष्य निर्धारित करने होगे, सकारात्मक सोच के साथ पति-पत्नी दोनों अपने दायित्व को समझें, अहम का विसर्जन करे, समय-समय पर पारिवारीक गोष्ठि हो समन्वय रखते हुए परिवार में तथा दाम्पत्य जीवन में सुख समृद्धि सम्भव है। मुनि अजय प्रकाश ने बताया कि विनय और सहनशीलता जीवन में आ जाये तो संयुक्त परिवार में कभी टुटन नहीं आ सकती है। अहिंसा और अनेकान्त में सामंजस्य रखना होगा। शशि चव्हाण ने तुलसी तुझें में खत लिखती हुं पर पता मुझें मालूम नहीं सुन्दर गीतिका प्रस्तुत की। शुभारम्भ महिला मण्डल की बहिनों के मंगलाचरण से हुआ। स्वागत सभा अध्यक्ष श्रीलाल खोखावत द्वारा संचालन चत्तर सिंह फत्तावत द्वारा किया गया। इस अवसर पर नेमीचन्द सुराणा ने भी अपने विचार व्यक्त किये। रावलिया निवासी सूरत प्रवासी इन्द्रमल राठौड़ द्वारा 25 बार मास खमण की तपस्या के उपलक्ष में अभिनन्दन किया गया।