शिल्पग्राम में शुक्रवार को आखिरी दिन
Udaipur पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव के नवें दिन गुरूवार को मुक्ताकाशी रंगमंच ‘‘कलांगन’’ पर ‘‘धरोहर’’ में पद्मभूषण से सम्मानित तथा देश की जानी मानी पण्डवानी गायिका श्रीमती तीजन बाई ने पण्डवानी में महाभारत के प्रसंग ‘‘दुशासन वध’’ में श्रोताओं के रोंगटे खड़े कर दिये वहीं सिद्दि धमाल व भांगड़ा ने दर्शकों को थिरकने के लिये प्रोत्साहित किया। रंगमंचीय कार्यक्रमों की शुरूआत राजस्थान के बाड़मेर की गैर से हुई। ढोल की थाप पर गैर नर्तकों ने होली के दिन याद ताजा करवाये। महाराष्ट्र की शब्दभेद कला में नारियल की तलाश जहां एक रोचक प्रस्तुत बनी वहीं बहुरूपिये सिकंदर अब्बास व उनके साथियों ने लोगों का मानेरंजन किया। इसके उपरान्त लावणी की बालाओं ने लास्य व लावण्य बिखेरा। सर्दी के माहौल के चलते नृत्यांगनाओं ने शीत ऋतु का अभिनय रोचक ढंग से किया।
पद्म भूषण तीजन बाई प्रमुख आकर्षण रही। नृत्य, अभिनय, नाट्य और गायन की सिद्ध इस कलाकार ने अपनी ओजपूर्ण स्वरों में महाभारत दुशासन वध प्रसंग को रोचक ढंग से दर्शाया। तंबूरे के साथ तथा उसके कलात्मक प्रयोगों के अनुठे युग्म से इस प्रसंग में उन्होंने अपने आंगिक अभिनय से महाभारत के पात्र भीम, दुशासन, द्रौपदी इत्यादि को जीवंत बनाया। द्रौपदी द्वारा केश में दुशासन का रक्त लगाने का दृश्य अत्यंत प्रभावी बन सका।
लोक कलाकार व निबूड़ा फेम गाजी खां मांगणियार व उनके साथियों ने गीत ‘‘झिरमिर बरसे मेह….’’ सुनाये वहीं बिहू नृत्य की प्रस्तुति ने असम के बिहू पर्व में युवा मन की तरंगों को उमंगपूर्ण ढंग से मंच पर अपनी दैहिक भंगिमाओं के साथ दर्शाया। कार्यक्रम में सिद्दि धमाल पर दर्शक दीर्घा में बैठे दर्शक थिरक उठे वहीं भांगड़ा नर्तकों ने भी दर्शकों को नाचने व थिरकने पर मजबूर किया। भपंग वादक जुम्मेखां की शेरा शायरी पर दर्शकों ने ठहाके लगाये।
खूब बिके कलात्मक उत्पाद
लोगों ने हाट बाजार जम कर खरीददारी की व मेले का अनन्द उठाया। मेले में आने वाले प्रत्येक परिवार व बंधु—बांधवों ने हाट बाजार में शिल्पियों से उनके हूनर के नमूनों को खरीदा। उत्सव के नवमें दिन मेला प्रारम्भ होने के साथ ही लोगों का रेला शिल्पग्राम में उमड़ पड़ा तथा दोपहर में हाट बाजार में बड़ी संख्या में लोगों ने खरीददारी की। वस्त्र संसार में, दर्पण बाजार, विविधा, काष्ठ शिल्प, धातु धाम, मृण कुंज, अलंकरण में विभिन्न दूकानों पर लोगोंं की खासी भीड़ लगी रही व लोगों ने जम कर खरीददारी की । अलंकार में ज्यादातर दूकानों पर महिलाओं की भीड़ रही। यहां किसी ने नेकलैस खरीदा तो किसी ने इयरिंग, कोई बैंगल्स का कलाईयों डालकर माप लेती नजर आई तो कुछ ने ब्रेसलैट को अपनाया। अलंकार में मोती के बने आभूषणों के अलावा काँच की चूडिय़ाँ, लाख की चूडिय़ाँ, धातु के बने आभूषण लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। शिल्प हाट में बेड कवर, बेडशीट, मसनद कवर, कुशन कवर, दीवान सैट, सोफे की मैटिंग, सोफा कवर, बनारसी साड़ी, लखनऊ का चिकन काम के कुर्ते पायजामे, नक्कशीदार लकड़ी के फर्नीचर, खुर्जा की पॉटरी के रंबिरंगे मग, कप तश्तरी, डेकोरेटिव पॉट्स, मिट्टी की मूर्तियाँ, जादुई दीपक, उल्लेखनीय है।
हाट बाजार में ही लोगों को महाराष्ट्र की विलुप्त प्राय: कला शैली पिंगुली पुतली देखने का अवसर भी मिला। महाराष्ट्र के सिन्धुदुर्ग की इस पुतली परंपरा के एक मात्र कलाकार यहां आये हुए हैं। पेठापुर झोपड़ी के निकट इन्होंने पुतली कला दर्शाने का मंच बना रखा है। इनकी पुतली की विशेषता है कि वे चर्म पुतली हैं तथा पुतली पर उन्होंने विभिन्न रंगों का प्रयोग कर विभिन्न किरदार बेहद खूबसूरती से बनाये हैं। पुतली कला से वे पैराणिक कथाएं रामायण, महाभारत आदि के रोचक प्रसंग लोगों को दिखा रहे हैं। एक जमाने में संचार का सशक्त माध्यम मानी जाने वाली कला के महाराष्ट्रमें बिरले ही कलाकार हैं। जो अब दूसरे व्यवसायो में लगे हैं।
फोटोग्राफी में अक्षय प्रथम
उदयपुर फोटोजर्नलिस्ट फ्रेण्ड्स क्लब की ओर से आयोजित फोटोग्राफी स्पर्धा में नवांशु उपाध्याय ने पहला स्थान अर्जित किया। लोगों में क्रिएटिव फोटोग्राफी के प्रति जागरूकता पैदा करने तथा उन्हें उचित गाइडलाइन देने के लिये क्लब द्वारा उत्सव के दौरान एमेच्योर फोटोग्राफर्स के लिये कार्यशाला का आयोजन किया गया तथा प्रतिभागियों के लिये फोटो स्पर्धा का आयोजन किया गया। निर्णायक फुरकान खान ने श्रेष्ठ फोटोग्राफ्स चयनित किये उनमें अक्षय श्रीवास्तव—प्रथम, मेघा सोनी—द्वितीय तथा दिव्या बोहरा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। जबकि पांच को सांत्वना पुरस्कार दिये गये इनमें नवांशु उपाध्याय, प्रसून खाब्या, धु्रवल शाह, सुभस्तु पाण्डे तथा दिशा गर्ग शामिल हैं। विजेताओं को उत्सव के समापन दिवस पर शाम 5 बजे पुरस्कार प्रदान किये जाएंगे।
आखिरी दिन ‘‘झंकार’’
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव शुक्रवार को सम्पन्न होगा। समापन अवसर पर रंगमंच पर ‘‘झंकार’’ की विशेष प्रस्तुति होगी जिसमें कला रसिकों को देश के विभिन्न राज्यों के लोक वाद्य यंत्रों को देखने व उनमें प्रस्फुटित होने वाली स्वर लहरियों को सुनने का अवसर मिल सकेगा।