आध्यात्मिक कार्यशालाओं व श्रुतोत्सव के विजयी प्रतिभागियों का पुरस्कार वितरण समारोह
उदयपुर। साध्वी कनकश्रीजी ने कहा कि ज्ञान यूं तो किताबी बहुत हो लेकिन अगर धार्मिक ज्ञान नहीं हो तो वह सब बेकार है। आज पाषाण युग से विज्ञान के इस युग में मंगल ग्रह तक मनुष्य पहुंच चुका है। ऐसे में धार्मिक ज्ञान भी होना चाहिए। यह परमात्मा तक पहुंचने का सबसे बड़ा माध्यम है। पशु और मनुष्य में यही अंतर है।
वे रविवार को अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से वर्ष भर आयोजित आध्यात्मिक कार्यशालाओं की सामूहिक परीक्षा के विजयी प्रतिभागियों एवं चातुर्मास के तहत आयोजित श्रुतोत्सव के विभिन्न सोपानों से गुजरते हुए अंतिम रूप से विजेता प्रतिभागियों के पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि ज्ञान का अपना स्थान है। ज्ञान चक्षु के बिना जीवन का विकास संभव नहीं है। ज्ञान के बिना व्यक्ति बेकार है। धार्मिक ज्ञान से शून्य व्यक्ति सूने जीवन का पर्याय है। साधर्मिक व्यक्ति अगर आपके यहां आए और उसका सम्मान नहीं हो तो यह उसका अपमान है। ज्ञानी बनना बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि अध्ययन के बिना अध्यात्म में प्रवेश नहीं हो सकता। महिलाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना प्रभाव दिखा रही हैं। धर्म संघ में भी मातृ शक्ति जागृत हो, ऐसा प्रयास करना चाहिए। कल्याण मुक्ति के लिए स्वाध्याय जरूरी है। दिमाग ग्रहणशील रहना चाहिए। टेंशन के बजाय उसके आगे अ लगाकर अटेंशन रहना चाहिए। लम्बा जीवन तो सभी जीना चाहते हैं लेकिन यह हमारे हाथ में नहीं बल्कि हमारे कर्मों की निर्जरा पर निर्भर है। भले ही लम्बा नहीं लेकिन स्वस्थ, परमात्मा के प्रति समर्पित जीवन जीयें। तनाव न करें। ध्यान का अभ्यास करें। माला इधर फेर रहे हैं लेकिन मन घर में है कि बहू क्या कर रही होगी? ऐसा नहीं होना चाहिए। चिंता नहीं चिंतन करें। टेंशन हो तो णमोकार महामंत्र का जाप करें। स्वत: महसूस करेंगे कि उद्वेग लाने वाले विचार शांत हो गए हैं। माता-पिता की परिक्रमा पूर्ण कर उसे ब्रह्माण्ड की परिक्रमा बताने वाले ही सफल हैं। चातुर्मास के तहत आयोजित श्रुतोत्सव में महिलाओं द्वारा दिखाया गया उत्साह काबिले-तारीफ है। युवाओं को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए। उन्हें धर्मसंघ के प्रति आगे आना चाहिए। इससे पूर्व साध्वी मधुलता ने कहा कि चातुर्मास का तीन माह से अधिक समय गुजर चुका है। आचार्य तुलसी के जन्म शताब्दी वर्ष में बचे हुए शेष दिनों में बहुश्रुत परिषद की सदस्या साध्वीश्री कनकश्रीजी से जितना ज्ञान प्राप्त कर सकें, करें। ज्ञान, दर्शन, तप और चारित्र के लिए तपाराधना करें।
सभा के मुख्य संरक्षक शांतिलाल सिंघवी, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष अभिषेक पोखरना, उपाध्यक्ष दीपक सिंघवी ने पुरस्कार वितरण किए।
इनका हुआ सम्मान : वर्ष भर हुई आध्यात्मिक कार्यशालाओं के बाद सामूहिक रूप से हुई परीक्षा में धर्मिष्ठा माण्डोत, आजाद तलेसरा एवं शकुंतला पोरवाल क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय रहीं। इन्हें 5001, 3001 तथा 2001 रुपए का नकद पुरस्कार प्रदान किया गया। सान्त्वना पुरस्कार केसर तोतावत एवं कशिश पोरवाल को पांच-पांच सौ रुपए प्रत्येक को प्रदान किए गए।
इनके अलावा विशेष योग्यता में अनिता पोरवाल, बादामदेवी बाबेल, चंद्रकांता बैद, डिम्पल सिंघटवाडिय़ा, हेमलता पोरवाल, हुकुमदेवी पोरवाल, जनतदेवी मुर्डिया, कल्पना करणपुरिया, कमलादेवी कोठारी, कामना पोरवाल, कान्ता खिमावत, किरण पोखरना, ललिता पोरवाल, मंजू फत्तावत, माधुरी पोरवाल, मीना नान्दरेचा, मीना सिंघवी, नीतू पोरवाल, निर्मला पोरवाल, पुष्पा नांदरेचा, प्रभा कोठारी, प्रतिभा इंटोदिया, रागिनी सिंघटवाडिय़ा, संगीता चपलोत, संगीता कावडिय़ा, सरोज पोरवाल, शकुंतला डागलिया, शशि कला जैन, शीतल पोरवाल, स्नेहलता पोरवाल, सीमा पोरवाल, सुधा पोरवाल, सुमन पोरवाल, सुनीता नंदावत, सुशीला झोटा, सुशीला कोठारी, सुशीला माण्डोत, तारा पोरवाल, उषा पोरवाल एवं विजयलक्ष्मी पोरवाल को सम्मानित किया गया।
श्रुतोत्सव के कुल चार सोपान में परीक्षाएं हुईं। इनमें अलग अलग विजेताओं की घोषणा की गई। फिर अंतिम रूप से पांचवें सोपान के तहत हुई परीक्षा के विजेताओं में धर्मिष्ठा माण्डोत व मीनाक्षी जैन प्रथम, प्रियल बोहरा व मधुबाला चह्वाण द्वितीय व कांता सिंघवी तृतीय रही। इन्हें क्रमश: 750, 500 एवं 500 रुपए का प्रत्येक को पुरस्कार प्रदान किया गया। विशेष योग्यता के रूप में कविता बड़ाला, सीमा पोरवाल, पुष्पा कोठारी, सरिता कोठारी, सुनीता बैंगानी, डिम्पल पोरवाल, चन्द्रकांता बैद, सुनीता नंदावत, प्रेक्षा जैन, मीना सिंघवी, कमला कंठालिया व महक कोठारी को सम्मानित किया गया।
आरंभ में मंगलाचरण शशि चह्वाण, सोनल सिंघवी एवं सरिता कोठारी ने किया। स्वागत उद्बोधन सभा के मुख्य संरक्षक शांतिलाल सिंघवी ने दिया। कार्यक्रम का आरंभ साध्वी कनकश्रीजी के नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से हुआ। संचालन सभा के मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने किया।