उदयपुर। कश्मीर की रुग्णता समाप्त करने के लिये धारा 370 हटनी चाहिये, तभी देश का विकास सम्भव हो सकेगा। ये विचार पूर्व विधि मंत्री एवं मुख्य वक्ता शान्तिलाल चपलोत ने गोष्ठी में व्याक्तय किए। वे इतिहास संकलन समिति एवं विश्व संवाद केन्द्र द्वारा संयुक्त रुप से ज्वलंत विषय ‘‘धारा 370 की प्रासंगिकता’’ पर आयोजित गोष्ठी में बोल रहे थे।
उन्होने संविधान की धारा 370 के विभिन्न अनुच्छेदों का वर्णन करते हुए बताया कि धारा 370 एक ट्रांजिश्नधल (संक्रमण कालीन) धारा है, जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के एक आदेश द्वारा लागू किया गया, जो वर्तमान में राष्ट्रपति द्वारा एक अधिसूचना जारी कर कभी भी समाप्त की जा सकती है। धारा 370 के कारण संविधान का अनुच्छेद 238 जम्मू कश्मीर पर निष्प्रभावी हो जाता है, जो जम्मू काश्मीर के नागरिकांे को विशेषाधिकार देता है, वहीं शेष भारत के नागरिकों को जम्मू-कश्मीर से दूर करता है। अन्य राज्य का व्यक्ति जम्मू-कश्मीर में सम्पत्ती नही खरीद सकता, किन्तु पाकिस्तानी नागरीकों को छूट देता है इसी कारण भारत के अन्य राज्यों के व्यक्ति वहॉं व्यापार नही करते, जिससे विकास की गति अवरुद्ध हो रही है। साथ ही धारा 370 से अलगाव की वृत्ति का तुष्टीकरण हो रहा है , यह अनुच्छेद अनुपयोगी एवं राष्ट्रीय एकता में बाधक है, यह शीघ्र समाप्त होना चाहिए।
इतिहास संकलन समिति के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य महावीर प्रसाद जैन ने विषय प्रवेश करवाते हुए प्रारम्भ मे सक्षिप्त इतिहास एवं भूमिका रखते हुए कहा कि धारा 370 को लेकर देश भर में भ्रम की स्थिति है, जिसके चलते धारा 370 की चर्चा आते ही कुछ लोग इसे बनाये रखने के पक्ष का समर्थन करते हुए चर्चा का ही विरोध करने लगते है जो की गलत है जबकि इस विषय पर और अधिक चर्चा एवं गोष्ठीयों के माध्यम से जनजागरण करने एवं समझने की आवश्यकता है। विषय पर बोलते हुए संस्कृत व्याख्याता श्री शक्तिकुमार जी ने काश्मीर के सांस्कृतिक इतिहास का वर्णन करते हुए धारा 370 को दूर्भाग्य पूर्ण बताया और इसे हटाये जाने की मॉंग की। श्री परमेन्द्र दशोरा ने कहा की देश में समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए, काश्मीर का नागरिक अपने आप को भारत का नागरिक नही मानता, धारा 370 के रहते राष्ट्रीय एकता की बात बेमानी है।
राजनीति विज्ञान के व्याख्याता बालूदान बारहठ ने धारा 370 के अन्तर्गत प्रावधान 35ए को विवादित बताते हुए धारा 370 के कारण उत्पन्न व्याावहारिक कठिनाइयों की चर्चा करते हुए कहा कि इसे परिवर्तित कर हटा देना चाहिए। गोष्टी का समापन करते हुए छगनलाल बोहरा ने धारा 370 को कालबाह्य बताते हुए कहा की इस विषय में व्यापक जनजागरण कर प्रचण्ड जनमत निर्माण करना होगा। संचालन चैनशंकर दशोरा ने किया किया। अध्यक्षता हीरालाल कटारिया ने की। धन्यवाद छगनलाल बोहरा ने दिया।