मशहूर फिल्मी गीतकार पंडित विश्वेश्वर शर्मा का निधन
उदयपुर। विरह, शृंगार के रस सिद्ध कवि और हिंदी कवि सम्मेलनों के मंच पर पैरोडी किंग के नाम से मशहूर पंडित विश्वेश्वर शर्मा ने आज सुबह 4.30 बजे 88 वर्ष की उम्र में भटियानी चौहट्टा स्थित निवास पर देह त्याग दी। वे अंतिम बार मंच पर 5 अक्टूबर को लोककला मंडल के मुक्ताकाशी रंगमंच पर हुए काव्यांगन में आए थे। काव्य जगत में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के मद्देनजर उन्हें पहला काव्यांगन पुरस्कार प्रदान किया गया।
पंडितजी ने 85 फिल्मों में गीत लिखे। वे मनोज कुमार की फिल्म संन्यासी के टाइटल सोंग चल संन्यासी मंदिर में से लोकप्रियता के शिखर पर चढ़े। फिर उसके बाद तेरी पनाह में हमें रखना.., छम्मांर-छम्मांक आदि गीतों को मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर, किशोर कुमार आदि प्रसिद्ध गायकों ने झूम-झूम कर गाया। पंडितजी अपने पीछे भरा-पूरा परिवार शोकाकुल छोड़ गए।
पंडितजी ने अपनी किशोरावस्था से ही काव्य रचना प्रारंभ करके सात दशक में विपुल साहित्य की रचना की। पिछले कुछ अर्से से वे मानवीयम महाकाव्य का सृजन कर रहे थे, जो पूरा नहीं हो पाया। उनका खंडकाव्य कालिदासोत्तमा शीघ्र प्रकाशित होने वाला है। मनवृंदावन और सांस सुमरनी गीत हिंदी साहित्य की निधि माने जाते हैं। दोपहर 12 बजे मेवाड़ की इस विभूति की देह का अशोकनगर श्मशानघाट पर अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान साहित्य जगत की कई हस्तियां मौजूद थी।
श्रद्धांजलियां
बाल कवि बैरागी ने कहा कि सरस्वती के परिवार में एक सदस्य अनुपस्थित हो गया। आज संन्यासी मंदिर में चला गया। ओम शांति!! उधर प्रेम गीतों का प्रतीक बन चुके डॉ. कुमार विश्वासस ने कहा कि हिंदी गीतों को लोक प्रतियों के माध्यम से लोकानुंजन के साथ शाब्दिक पुष्टता पंडितजी की लेखनी में झलकते थे। राजस्थान के लोक रंग अपनी पूरी उर्जा के साथ नृत्य करते थे। फिल्मी गीतों में उन्होंने लोक मुहावरों को प्रतिष्ठित किया। इंद्र के लोक में गीत गंधर्व की आमद शुभ हो। हास्यन कवि सुरेन्द्रि शर्मा ने कहा कि पंडित विश्वेश्वर शर्मा ने हिंदी पैरोडी को लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचाया, किंतु उनका मूल्यांकन उनकी पैरोडी से नहीं होगा, वे सदैव अपने अप्रतिम गीतों के कारण याद किए जाएंगे।