रीढ़ की हड्डी व कूल्हेर के ज्वाठइंट की मैनुअल थैरेपी पर राष्ट्रीय कार्यशाला
उदयपुर। आज की युवा पीढ़ी में व्यस्ततम लाइफ स्टाइल ज्यादा से ज्यादा वाहनों के इस्तेमाल, बसों व ट्रेनों में यात्रा करने व अधिक सीटिंग कार्य अधिक करने से पीठ का दर्द, रीढ की हड्डी का दर्द आम है। इससे बचने के लिए व्यायाम करें, योग योगा करे तथा दौड़ भी लगाएं।
भारत में युवा वर्ग द्वारा ज्यादा बैठक करने से, वाहनो के इस्तेमाल से हड्डियों में स्टेस आता है जिस कारण दर्द होताहै। इसे फिजियोथेरेपी के मेन्युअल थेरेपी तथा मसाज थेरेपी से ठीक किया जा सकता हैं। यह कहना है मुख्य वक्ता मेनुयल थेरेपिस्ट यूएसए के डॉ. संजीव झा का।
अवसर था जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के प्रतापनगर परिसर स्थित आईटी सभागार में संघटक फिजियोथेरेपी महाविद्यालय द्वारा सेकरोइलीयक जोईंट डिसफंक्शकन (रीढ़ की हड्डी व कूल्हेज के ज्वादइंट) के मैनुअल थैरेपी से उपचार पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का। प्राचार्य डॉ. शैलेन्द्र मेहता ने बताया कि मुख्य अतिथि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. बीएल चौधरी ने समाज में दिनों दिन बढ़ रहे फिजियोथेरेपी के रूझान की जानकारी दी। उन्होने कहा कि आने वाले दिनों में इसके द्वारा स्पोर्ट्स फिजियोथेरेपी, न्यूरो फिजियेाथेरेपी, कार्डियों फिजियोथेरेपी, आईसीयू फिजियोथेरेपी तथा इलेक्ट्रो फिजियोलोजी द्वारा भी रोगों का उपचार किया जायेगा। विशिष्ठ अतिथि आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. डीपी सिंह, डॉ. सीके आमेटा ने भी मेनुअल थैरेपी के बारे में महत्वपर्ण जानकारी दी। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने बताया कि युवा वर्ग के लिए यह एक महत्वपूर्ण मौका है। वह बारीकियों को सीख कर रोल मॉडल के रूप में इसे अपना कर अपने पेशे को नई दिशा देंगे। स्वागत उद्बोधन प्राचार्य डॉ. शैलेन्द्र मेहता किया। संचालन डॉ. विनिता बागेला ने किया जबकि धन्यवाद डॉ. सुमिता ग्रोवर ने दिया। कार्यशाला में गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, मध्यप्रदेश के लगभग 80 प्रतिभागी भाग ले रहे है।