udaipur. प्रख्यात ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ. जे.के.छापरवाल ने कहा कि गत कुछ वर्षो से उदयपुर में कार्डियोलोजी क्षेत्र में हुए विकास तथा भविष्य में इस क्षेत्र में होने वाले तकनीकी विकास को देखते हुए यह निश्चित है कि उदयपुर ह्रदय रोगियों के इलाज का हब बनेगा जिससे देश के ह्दय रोगी अपना इलाज कराने यहां आ सकेंगे। हार्ट अटैक के समय मरीज के हित में सोचने वाले एक मजबूत अटेण्डेट का होना अत्यन्त आवश्यक है।
वे रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा रोटरी बजाज भवन में ह्दय रोग पर आयोजित वार्ता में मुख्य वक्ता में बोल रहे थे। उन्होनें कहा कि ह्दय रोगी के साथ डिसिजन मेकिंग वाले अटेण्डेट का होना जरूरी है ताकि आपात समय में रोगी के हित में निर्णय लेकर उसकी जान बचा सके। अधिकंशत: अटैक बांयी ह्दय नलिका में ब्लॉकेज होने पर होते है। अब देश में उन स्थानों, राज्यों या देश में ह्दय रोग कम देखने को मिलता है जहंा इस रोग के प्रति लोग अधिक जागरूक और बीमारी का संकेत मिलते ही उसके प्रति सचेत हो जाते है। यही कारण जापान जैसे देश में बहुत ही कम संख्या में ह्दय रोगी क्योंकि वहां इलाज के बजाय बचाव अधिक ध्यान दिया जाता है। उन्होनें कहा कि जीवन में मित्र कम रखे लेकिन सही रखे जो बीमारी के समय स्वंय निर्णय लेकर रोगी की जान बचा सके।
डॉ. छापरवाल ने कहा कि हार्ट अटैक के समय एस्प्रिन या डिस्प्रिन हर समय अपनी जेब में रखे ताकि आपात समय में वह रोगी की जान बचा सके। कम रक्तचाप के समय सोरबिटे्रट की गोली नहीं देनी चहिये क्योंकि यह गोली उस स्थिति मे मरीज के जानलेवा साबित हो सकती है।
संकेत : थकान महसूस हो, प्रतिदिन खाने की मात्रा में निरन्तर कमी आये तो ह्दय की जाच करा लेनी चाहिये। हार्ट अटैक के बाद 30 मिनिट से लेकर 12 घंटे के भीतर यदि रोगी को थक्का रोधक दवा मिल जाय तो उसकी जान बचायी जा सकती है। उन्होनें बताया कि 45 प्रतिशत ह्दय रोग 65 वर्ष से कम उम्र के लोगों में होता है। स्टेबल एन्जाईना के समय ड्यूरेशन, डिस्टेन्स व सिवियरिटी तीनों का हार्ट अटैक के समय ध्यान रखना चाहिये। लगातार 20 मिनट तक ह्दय में दर्द हो रहा हो तो आपात में डिस्प्रिन टेबलेट का उपयोग करना चाहिये।
ह्दय रोग का इतिहास : देश में ह्दय रोग का इतिहास एक सौ वर्ष से अधिक पुराना नहीं है। देश में प्रथम ईसीजी 1909 में प्रारम्भ हुई। उदयपुर में कार्डियोलोजी का विकास 1995 से प्रारम्भ हुआ जब महाराणा भूपाल सार्वजनिक चिकित्सालय में कार्डियोलाजी इकाई की स्थापना हुई। पूर्व में उदयपुर में ह्दय रोगी को सात-सात दिन तक आइसीयू में रखना पड़ता था। हार्ट की नलियों में 70 प्रतिशत फैट जमा होने तक भी उसका पता नहीं चल पाता है। उससे अधिक फैट जमा होने पर ही उसका पता चलता है। इसलिये प्रत्येक व्यक्ति को अपने ह्दय की समय-समय पर जांच कराते रहना चाहिये।
क्लब अध्यक्ष डॉ. निर्मल कुणावत ने बताया कि ह्दय के संदर्भ में हम अनेक बार बहुत सी बातें जानते है लेकिन इसके बावजूद छोटी-छोटी बातों की आेर ध्यान नहीं दिये जाने से यह रोग जानलेवा साबित हो जाता है। इस अवसर पर अनेक सदस्यों ने प्रश्र पूछ कर अपनी जिज्ञासाओं को शान्त किया। सचिव गिरीश मेहता ने दिया।
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