उदयपुर. गीतांजली हॉस्पिटल की आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. पूजा गांधी ने दुर्गेश देवी की 41 साल से संतान की चाह को इन विट्रो निषेचन (आई वी एफ) के ‘ब्लास्टोसिस्टकल्चर‘ द्वारा पूरा किया।
गीतांजली फर्टिलिटी सेंटर विशेषज्ञ डॉ. पूजा गांधी ने बताया कि अलवर निवासी 41 वर्षीय दुर्गेश देवी निःसंतानता से ग्रस्त् थी। गीतांजली में 3 माह के उपचार के बाद हिस्टेरोस्कोपी (दूरबीन से जांच) की गई जिससे गर्भाशय को साधारण अवस्था में लाया गया और फिर आईवीएफ किया गया। तीन दिन बाद भ्रूण अच्छे और उच्च स्तर के बने पाए गए। ब्लास्टोसिस्ट कल्चर करने का निर्णय लिया गया। पांचवे दिन जब अच्छे ब्लास्टोसिस्ट बन गए, तब उन्हें गर्भाशय में डाला गया। फिर 14 दिन बाद की गई जांच में वे गर्भवती पाई गई। आखिर में जब 6 हफ्ते बाद सोनोग्राफी की गई तो बच्चे की धड़कन सामान्य थी।
क्या है ‘ब्लास्ट कल्चर‘ : आमतौर पर भ्रूण तीसरे दिन ही रखा जाता है लेकिन यदि भ्रूण उच्च एवं अच्छा हो तो ही पांचवे दिन उसे गर्भाशय में रखा जा सकता है और इसी पांचवे दिन की प्रक्रिया को ब्लास्ट कल्चर कहते हैं। जिन दंपतियों का पिछला आईवीएफ असफल रहा हो, उनका ब्लास्ट कल्चर किया जाता हैं जिसमें गर्भावस्था दर 60-70 प्रतिशत से भी अधिक होती है। रोगी दुर्गेश देवी ने बताया कि उन्होंने पहले भी इसका उपचार जयपुर, अहमदाबाद और अलवर में करवाया था लेकिन सफलता न मिलने पर वे गीतांजली में आई जहां डॉ पूजा गाँधी ने अंडादान चक्र द्वारा इन विट्रो निषेचन (आईवीएफ) किया जिससे उन्हें संतान का सुख मिला। अब वे बेहद खुश और स्वस्थ हैं।