राजस्थान में पहली बार कन्वेंशन उदयपुर में
राजएप्टीकोन-2015 में देशभर के फार्मेसी विशेषज्ञों ने की शिरकत
उदयपुर। फार्मेसी काउन्सिल ऑफ इण्डिया के अध्यक्ष डॉ. बी. सुरेश ने बताया कि केन्द्र सरकार जल्द ही हॉस्पिटलों में फार्मेसी प्रेक्टिस शुरू करेगी। इसके प्रस्ताव को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी गई है। साथ ही परिषद देश के सभी फार्मेसी कॉलेजों को इन्डस्ट्रीज एकेडमिक फोरम बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
वे शुक्रवार को एसोसिएशन ऑफ फार्मास्यूटीकल टीचर्स ऑफ इण्डिया, राजस्थान स्टेट ब्रांच की ओर से उदयपुर में एमर्जिंग ट्रेंड्स इन फार्मास्यूटिकल एज्यूकेशन रिसर्च एंड रेगुलेटरी अफेयर्स विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला “राजएप्टीकोन 2015” के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंरने कहा कि पुराने फार्मासिस्टों को अपग्रेड करने के लिए सभी कॉलेजों में ब्रिज कोर्सों को लागू करेगी। डॉ. सुरेश ने कहा कि पीसीआई फार्मेसी कॉलेजों के मान्यता एवं संचालन के लिए सख्त कदम उठा रही हैं जिससे कि देश में अंतरराष्ट्रीय स्तर के फार्मासिस्टों की कमी न हो।
मुख्य अतिथि एपीटीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. महेश बुराण्डे ने कहा कि भारत दुनिया के 212 देशों को दवाईयां निर्यात कर रहा है एवं भारत एक लाख साठ हजार करोड़ (160000 करोड़ ) का दवा व्यापार दुनिया में सबसे अधिक ग्रोथ रेट 15 प्रतिशत की दर से कर रहा है। भारत में भी आज क्लिनिकल फार्मेसी के साथ ही हॉस्पीटल फार्मेसी को तेजी से आगे लाने की आवश्यकता है। जिससे की हेल्थ सेक्टर को विश्व स्तरीय बनाया जा सके। उन्होने अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि पिछले तीन वर्षो से फार्मेसी प्रोफेशनल को मोस्ट ट्रस्टेट प्रोफेशन का अवार्ड दिया जा रहा है। अब आवश्कता है कि हम हर्बल क्षैत्र में हमारे उपलब्ध ज्ञान को तेजी से विज्ञानिक धरातल पर दुनिया के सामने पेश कर मानवता की सेवा करे। राजस्थान सरकार ने मुफ्त दवा वितरण योजना शुरू कर देश में एक मिशाल कायम की है जिसमें तुरन्त 15000 नियमित फार्मोसिस्टों की आवश्यकता है।
विशिष्ट अतिथि पेसिफिक यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट प्रो. बीपी शर्मा ने बताया कि पेसिफिक मेडिकल यूनिवरसिटी द्वारा उदयपुर संभाग में स्वास्थ्य सेवाओं में उल्लेखनीय योगदान दिया जा रहा है। पेसिफिक के दोनों हॉस्पीटलों में मुफ्त दवाओं के वितरण के साथ ही निःशुल्क सामान्य चिकित्सा एवं जांच सेवा भी की जा रही है। इस सत्र में प्रदेश के 45 फार्मेसी महाविद्यालयों के प्रिसिंपल ने भाग लिया। कन्वेन्शन के अध्यक्ष डॉ. इन्द्रजीत सिंघवी, अधिष्ठाता फार्मेसी संकाय, पेसिफिक यूनिवर्सिटी व संयोजक डॉ. कमल सिंह राठौड़, प्रोफेसर बीएन इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी हैं।
कार्यक्रम में 950 प्रतिभागियों नें भाग लिया। कन्वेशन के दौरान 250 शोध-पत्रों को प्रस्तुत किया स्वागत अध्यक्ष डॉ. इन्द्रजीत सिंघवी ने किया। वाइस चांसलर प्रो. बीपी शर्मा ने देशभर से आये हुए फार्मोसिस्टों का आह्वान किया कि भारत में उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग करते हुए आधुनिक युग की महामारियों के लिए उच्च गुणवत्ता की सस्ती दवाएं भारत में ही ईजाद की जाए जिससे आयात कम करके निर्यात को बढाने के साथ-साथ देश की जीडीपी में फार्मोसिस्टों द्वारा योगदान दिया जा सके।
राजस्थान फार्मेसी काउन्सिल के भूतपूर्व दिवगंत रजिस्ट्रार स्व. दिनेश सचदेवा की स्मृति में लाइफ टाइम अचीवमेन्ट अवार्ड की शुरूआत की गई। प्रथम अवार्ड बीएन फार्मेसी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. जेएस डांगी को दिया गया। राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार राजेश यादव ने कहा कि फार्मेसी स्नातकों की भर्ती हेतु राजस्थान में एक अभियान चलाया जाएगा जिसमें सभी छात्र अध्यापक मिलकर राज्य सरकार इस विषय पर वार्ता करेंगे। सेमीनार के मंच पर डॉ. बीपी नागौरी, डॉ. राजेन्द्र भांभर और एपीटिआई सचिव प्रो. बीजी शिवानंदा आदि उपस्थित थे। फार्मेसी काउन्सिल ऑफ इण्डिया की रजिस्ट्रार अर्चना मुदगल ने अध्यापकों से अनुरोध किया कि वह छात्रों के साथ कक्षा में द्विस्तरीय संवाद स्थापित करें ताकि विद्यार्थियों को विषय की पूर्ण जानकारी हो सके। साथ ही उन्होने सतत् योग्यता विकास के लिए फार्मेसी काउन्सिल की कटिबद्धता जाहिर की। कॉन्फ्रेन्स के द्वितीय सत्र में दो व्याख्यानों का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता महेश बुराण्डे एवं आईपीआर चंडीगढ़ के वैज्ञानिक राहुल तनेजा थे। धन्यवाद गीतांजली यूनिवरसिटी के डॉ. अशोक दशोरा ने दिया। आर्गेनाईजिंग सेक्रेट्ररी डॉ. कमलसिंह राठौड़ ने बताया कि संचालन उदिची कटारिया व स्वाति गोखरू ने किया।