उदयपुर। मास्टर प्लान एवं झील विकास प्राधिकरण के प्रावधानों के अनुसार झीलों का सीमांकन अधिकतम भराव तल (एमडब्लूएल) तक होना चाहिए। उदयपुर में एक षड्यंत्र के तहत सीमांकन को एफटीएल पार कर भू-माफियाओं को झील पेटे को मिट्टी से पाटने की खुली छूट दी हुई है।
ये विचार झील संरक्षण समिति के डॉ अनिल मेहता ने श्रमदान पूर्व हुए रविवारीय संवाद में व्यक्त किये। झील मित्र संस्थान के तेज शंकर पालीवाल ने गृहमंत्री से आग्रह किया है कि वे तुरंत ही झीलों को अधिकतम भराव तल तक सुरक्षित करवाये। डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के सचिव नन्द किशोर शर्मा ने ने झीलों को पाटने वालो से हाथ जोड़कर आग्रह किया है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए झीलों को बचाये एवं झीलों की हत्या में भागीदार नहीं बने।
झील मित्र संस्थान ए झील संरक्षण समिति व डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित संवाद पूर्व हुए श्रमदान में रंग सागर से प्लास्टिकएपोलिथिनए शराब की बोतलें, सड़े फल सब्जियां, शाकाहारी व मांसाहारी खाद्य सामग्री, घरेलू कचरा तथा जलीय घास निकली। श्रमदान में मोहन सिंह चौहान, कुलदीपक पालीवाल, प्रताप सिंह राठौड़, कैलाश कुमावत, अजय सोनी, नितिन कुमावत, बीएल पालीवाल, दीपेश सोनी, हर्षद कुमावत, शुभम कुमावत, राम लाल गहलोत, तेजशंकर पालीवाल व नंदकिशोर शर्मा ने भाग लिया।